तीनों को रायपुर रेलवे स्टेशन में ठंड में ठिठुरते हुए आरपीएफ वालों ने देखा। इसके बाद उरला पुलिस के हवाले किया गया। इससे पहले तीनों को उसके परिजन और पुलिस जगह-जगह उनकी तलाश में लगी थी। बच्चों के मिलने से परिजनों ने राहत की सांस ली है।
उल्लेखनीय है कि बीरगांव के सुभाष चौक निवासी अजय सिंह का बेटा गौरव सिंह (12), नैतिक सिंह उर्फ विक्की (7) और पड़ोस में रहने वाली परमजीत कौर का 10 वर्षीय बेटा अमनदीप सिंह मंगलवार सुबह करीब 11 बजे से गायब थे। शाम तक तीनों नहीं मिले, तो परिजनों ने थाने में सूचना दी। इसके बाद मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस की टीमें भी उनकी तलाश में जुटी थी।
गुरुवार की सुबह करीब ४ बजे रायपुर रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर के पास तीनों बैठे थे और ठंड में ठिठुर रहे थे। उन पर आरपीएफ की नजर पड़ी। आरपीएफ को उरला पुलिस ने बच्चों के फोटो व अन्य जानकारी के साथ गुमशुदा होने की सूचना पहले से दे रखी थी।
बच्चों को देखकर आरपीएफ जवानों को शक हुआ। उन्होंने बातचीत की। इसके बाद उरला पुलिस को सूचना दी गई। उरला पुलिस उनके परिजनों को लेकर मौके पर पहुंची। बच्चों को सीडब्ल्यूसी में पेश किया गया। उनसे पूछताछ की गई। फिर उनके परिजनों के हवाले कर दिया गया।
मां ने बंद कर दिया था बाहर से दरवाजा
पूछताछ के बाद पूरी कहानी सामने आई। पुलिस के मुताबिक अमनदीप सिंह पहले भी दो बार भाग चुका है। वह घूमने-फिरने में ज्यादा ध्यान देता है। मंगलवार को उसकी मां किसी काम से जा रही थी। इस दौरान उसने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया था, ताकि अमन घर पर ही रह सके। वह चली गई।
कुछ देर में अमन का दोस्त गौरव सिंह पहुंचा। उसने दरवाजा खोला। इसके बाद दोनों ने घर से भागने की योजना बनाई। इस बीच गौरव का छोटा भाई नैतिक सिंह भी आ गया। दोनों उसे भी अपने साथ ले गए। तीनों रेलवे स्टेशन पहुंचे और ट्रेन में बैठ गए। डोंगरगढ़ में तीनों उतरे। दिनभर वहां घूमते-फिरते रहे। रात में लंगर में खाना खाया और वहीं सो गए।
अगले दिन नैतिक को अपनी मां की याद आई। और वह घर जाने की जिद करने लगा। दोनों उसे घुमाते रहे। नैतिक नहीं माना, फिर उसे लेकर रात में रायपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे। घर न जाकर तीनों स्टेशन में ही कहीं और जाने की प्लानिंग करने लगे। इस बीच पुलिस को पता चल गया।