एम्स में प्रतिदिन प्रदेशभर से हजारों लोग उपचार कराने के लिए पहुंचते है। डॉक्टर उनकी बीमारी जानने के लिए खून, यूरिन, स्टूल की जांच तथा एक्सरे आदि के लिए लिखते हैं। मरीजों को बाहर के पैथोलॉजी सेंटरों में अधिक रकम देकर टेस्ट कराना पड़ता है।
नाम न छापे जाने की शर्त पर एम्स के एक डॉक्टर ने बताया कि आउटसोर्सिंग के जरिए पैथोलॉजी और एक्सरे नहीं कराया जाता तो मरीजों को काफी कम दर पर यह सुविधा मिल जाती। मरीजों को निजी अस्पतालों में खून, यूरिन, स्टूल आदि की जांच के लिए जितना खर्च करना पड़ता है, उतना ही एम्स में लिया जा रहा है। एक्सरे कराने के लिए भी मरीजों को ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।
जिला अस्पताल में नहीं हो रही सोनोग्राफी
सिविल लाइन स्थित जिला अस्पताल में एक सप्ताह से गर्भवती महिलाओं को सोनोग्राफी कराने के लिए निजी क्लीनिकों में ज्यादा पैसे खर्च करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। कर्मचारी नहीं होने से सोनोग्राफी विभाग बंद है। जिला अस्पताल में प्रतिदिन करीब 400-500 गर्भवती महिलाएं उपचार कराने के लिए पहुंचती है। पुरानी बस्ती की एक महिला ने बताया कि जिला अस्पताल में 100-200 में सोनोग्राफी हो जाती है, लेकिन बाहर 800 से 1000 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।
एम्स के अधीक्षक डॉ. अजय दानी ने बताया कि मरीजों को 1 फरवरी से एक्सरे तथा 1 अप्रैल से पैथोलॉजी की सुविधा सरकारी दर पर मिलने लगेगी। इसके लिए आदेश भी जारी कर दिया गया है। मरीजों को कोई दिक्कत न हो, इसलिए आउटसोर्सिंग के जरिए इन सुविधाओं की व्यवस्था की गई थी।
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. रवि तिवारी ने बताया कि डॉक्टरों की कमी की वजह से सोनोग्राफी बंद है। 27 जनवरी को महिला कर्मचारी आ जाएगी तो दिक्कत दूर हो जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को भी इसकी जानकारी दे दी गई है।