यहां बायो केमिस्ट्री डिपार्टमेंट में बुनियादी जांच का ही अभाव है। ऑन रिकॉर्ड यहां 14 तरह की जांच होती है। लेकिन जब आप लैब में जांच के लिए पहुंचते हैं तो केवल 3 तरह की ही जांच मुहैया कराई जाती है। बाकी 11 तरह की जांच के लिए बताया जाता है कि फिलहाल सुविधा नहीं है। ऐसा लंबे समय से चल रहा है। यही वजह है कि लोग सरकारी अस्पताल में जाकर भी प्राइवेट लैब में जांच कराने के लिए मजबूर हैं। जब राजधानी स्थित प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का ये हाल है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि अन्य जिलों और सुदूर इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था का क्या हाल होगा। मामले में पत्रिका ने जब आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों से बातचीत कर यह जानने का प्रयास किया कि बायो केमिस्ट्री डिपार्टमेंट में ज्यादातर जांच क्यों नहीं हो रही! तो पता चला कि सीजीएमएससी से री-एजेंट्स की सप्लाई नहीं की जा रही है। असल मसला तो ये है कि जांच जब लंबे समय से प्रभावित हो रही है तो अस्पताल प्रबंधन द्वारा क्यों नहीं समय रहते री-एजेंट्स की मांग की जाती। सूत्रों की माने तो यह सुनियोजित तरीके से खेला जाने वाला खेल है क्योंकि सरकारी अस्पताल में जांच नहीं होने से सीधे प्राइवेट लैब्स को फायदा है। सूत्रों की मानें तो प्राइवेट लैब को फायदा पहुंचाने के इरादे से ही जांच प्रभावित की जा रही है।
सवाल इसलिए भी… सस्ती जांच उपलब्ध, महंगी का ठिकाना नहीं आंबेडकर अस्पताल के बायो केमिस्ट्री डिपार्टमेंट में जांच प्रभावित होने को लेकर सवाल इसलिए भी उठता है कि यहां जो 3 तरह की जांच उपलब्ध है, वह सस्ती है। केवल महंगी जांच नहीं हो पा रही। यानी सस्ती जांच से प्राइवेट लैब्स को कोई फायदा नहीं होगा। महंगी जांच प्राइवेट लाइफ को अधिक फायदा है। बता दें कि आंबेडकर अस्पताल के बायो केमिस्ट्री डिपार्टमेंट में प्रतिदिन 200 से ज्यादा लोग जांच के लिए पहुंचते हैं। इनमें से तकरीबन 70 फ़ीसदी लोगों को सुविधा नहीं होने के नाम पर लौटा दिया जाता है।
केस स्टडी: डॉक्टरों ने मना कर दिया तो प्राइवेट लैब में मजबूरी में करानी पड़ी जांच
आकाश (बदला हुआ नाम) बीते दिनों अपने परिजन की जांच कराने के लिए आंबेडकर अस्पताल के बायो केमिस्ट्री डिपार्टमेंट पहुंचे। उन्हें अलग-अलग तरह की जांच कराने के लिए कहा गया था। लैब पहुंचने पर पता चला कि ज्यादातर जांच उपलब्ध ही नहीं है। उसे बाहर किसी प्राइवेट लैब से जांच करानी पड़ेगी। बात स्वास्थ्य की थी तो मजबूरी में उसे प्राइवेट लैब में ही जांच करानी पड़ी। इसके लिए अच्छी खासी रकम भी खर्च करनी पड़ी। आकाश ने पत्रिका से कहा कि जब पैसे ही खर्च करने हैं तो सरकारी अस्पताल में क्यों जाएं।
आंबेडकर अस्पताल में अभी 1, 3 और 7 नंबर वाली जांच उपलब्ध, किस पर कितना शुल्क 1. ग्लूकोज़- 200 रुपए 2. आरएफटी- 700 रुपए 3. एलएफटी- 500 रुपए 4. लिपिड प्रोफाइल- 800 रुपए
5. टोटल प्रोटीन- 700 रुपए 6. एल्बुमिन- 750 रुपए 7. इलेक्ट्रोलाइट- 600 रुपए 8. यूरिक एसिड- 760 रुपए 9. फास्फोरस- 250 रुपए 10. कैल्शियम- 300 रुपए 11. एलडीएच- 2000 रुपए
12. आयरन- 600 रुपए 13. सीएसएफ- 800 रुपए 14. यूरिन प्रोटीन- 1400 रुपए री-एजेंट्स की कमी के चलते बायो केमिस्ट्री डिपार्टमेंट में कई तरह की जांच प्रभावित हो रही है। इनकी आपूर्ति के लिए सीजीएमएसी से मांग की गई है। समयसीमा में री-एजेंट्स की आपूर्ति हो जाए, इस पर जोर दे रहे हैं।
डॉ. तृप्ति नागरिया, डीन, पं. जवाहर लाल नेहरु मेडिकल कॉलेज