उल्लेखनीय है कि राज्य शासन के हस्तक्षेप के बाद संजीवनी और महतारी एक्सप्रेस कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल खत्म कर दिया है, लेकिन जीवीके कंपनी कर्मियोंं से हड़ताल न करने और उनके शर्त के अनुसार काम करने के लिए शपथ पत्र मांग रहा है। यही कारण है कि कर्मचारियोंं ने अब ज्वाइनिंग नहीं लिया है। ऐसे में जिले मेंं संजीवनी एक्सप्रेस के संचालन के लिए अप्रशिक्षित ईएमटी और लोको पायलट के सहारा लिया जा रहा है। पत्रिका ने जिला अस्पताल का पड़ताल किया, तो पता चला कि मगरलोड, कुरूद और नगरी के सुदूर वनांचल क्षेत्रों के ४० फीसदी मरीज इलाज कराने के लिए निजी वाहनोंं से जिला अस्पताल पहुंचे हैं।
नहीं की ज्वाईनिंग
एक जानकारी के अनुसार जिले मेंं ७ संजीवनी और ११ महतारी एक्सप्रेस संचालित हो रही है। ८४ में से ७५ कर्मचारियों ने अभी ज्वाइनिंग नहीं लिया है, जिसके चलते वाहनों का संचालन अप्रशिक्षित ईएमटी और लोको पायलट के सहारे ही कराया जा रहा है। नए लोगों को गांव एवं वनांचल क्षेत्रोंं के रूट का भी पता नहीं है। ऐसे में संजीवनी सेवा लगातार प्रभावित हो रही है।
एक जानकारी के अनुसार जिले मेंं ७ संजीवनी और ११ महतारी एक्सप्रेस संचालित हो रही है। ८४ में से ७५ कर्मचारियों ने अभी ज्वाइनिंग नहीं लिया है, जिसके चलते वाहनों का संचालन अप्रशिक्षित ईएमटी और लोको पायलट के सहारे ही कराया जा रहा है। नए लोगों को गांव एवं वनांचल क्षेत्रोंं के रूट का भी पता नहीं है। ऐसे में संजीवनी सेवा लगातार प्रभावित हो रही है।
क्या कहते हैं मरीज
रघुवीर यादव (सोनामगर) ने बताया कि उसके सीने मेंं असहनीय दर्द हो रहा था। संजीवनी १०८ में डायल करने पर कोई रिस्पांस नहीं मिला। ऐसे में मजबूरी मेंं ७ सौ खर्च कर उन्हें निजी वाहन से अस्पताल आना पड़ा
रघुवीर यादव (सोनामगर) ने बताया कि उसके सीने मेंं असहनीय दर्द हो रहा था। संजीवनी १०८ में डायल करने पर कोई रिस्पांस नहीं मिला। ऐसे में मजबूरी मेंं ७ सौ खर्च कर उन्हें निजी वाहन से अस्पताल आना पड़ा
इमरजेंंसी सेवा के लिए कर्मचारियोंं की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है, जो संजीवनी और महतारी एक्सप्रेस मेंं अपनी सेवा दे रहे हैं। मरीजोंं को इसका लाभ भी मिल रहा है। डॉ डीके तुर्रे, सीएमएचओ