चंद्रखुरी (आरंग)- छत्तीसगढ़ की रामायण के रचियता स्व. डॉ. मन्नू लाल यदु लिखते हैं त्रेतायुग में दक्षिण कोसल के राजा भानुमंत (भानुमान) थे। उनकी बेटी भानुमति का विवाह उत्तर कोसल के युवराज दशरथ से हुई। कोसल की राजकुमारी होने के नाम उनका नाम कौसल्या पड़ गया। राजा ने दहेज में दक्षिण कोसल का बड़ा हिस्सा बेटी को दहेज में दे दिया। आरंग से 20 किमी दूर चंदखुरी है, जहां माता कौशल्या का मंदिर है, जो भगवान राम को गोद में लिए बैठी हैं।
कोसीर (सारंगढ़, रायगढ़)- भगवत पुराण के आधार पर भगवान राम ने अपने पुत्र लव को उत्तर कोसल और कुश को दक्षिण कोसल का राजा बनाया था। दक्षिण कोसल की सीमा उत्तर में गंगा, दक्षिण में गोदावरी, पश्चिम में उज्जैन और पूर्व में ओडिशा के समुद्र क्षेत्र से लगती थीं। एक दावा जांजगीर चांपा में कौसिर को लेकर भी हो रहा है।
सिहावा में ऋंगी ऋषि का आश्रम है। ये ऋषि ही राजा मानुमंत को आमंत्रण मिलने पर नदी मार्ग से अयोध्या लेकर पहुंचे थे। ऐसा उल्लेख है कि महानदी और खारून नदी के मध्य का भू-भाग दक्षिण कोसल की राजधानी का क्षेत्र रहा होगा।
भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने ३ दिन पहले बयान दिया। कहा- चंदखुरी माता कौशल्या की जन्मस्थली नहीं है, वहां सिर्फ उनका मंदिर है। उनकी जन्मस्थली कोसला (बिलासपुर) के पास है। इसके बाद से प्रदेश की राजनीति में यह मुद्दा गरमाया है। भाजपा, कांग्रेस आमने-सामने हैं।
माता कौशल्या का मंदिर किसी विवाद का मसला नहीं होना चाहिए। यह परंपरा और आस्था का विषय है, इसे ऐसी ही स्वीकार करना चाहिए। कौशल्याजी कौसल राज्य की राजकुमारी थी, यह निर्विवाद है। मगर किसी भी ग्रंथ में भानुमंत की राजधानी का उल्लेख नहीं है। अब अगर आप खुदाई करेंगे भी तो कोई प्रमाण नहीं मिलेंगे। राज्य में ५वीं-६वीं शताब्दी के पहले का कुछ भी नहीं है।
चंद्राकर जी का बयान पूरी तरह से राजनीतिक स्टंट है। वे जब पंचायत मंत्री रहे तब तो उन्होंने सुध नहीं ली। हां, अगर वे चंदखुरी के विकास को लेकर कोई सुझाव देते हैं तो उसे बिल्कुल स्वीकार किया जाएगा। आज तो हमारे राज्य में ही कई दावे किए जा रहे हैं, कल को दूसरे राज्य वाले भी दावा करने लगे तो क्या वहां भी जाकर खुदाई करवाई जाएगी। चंदपुरी में प्रमाण है, कोसला में नहीं।
– महंत राम सुंदर दास, महंत, दूधाधारी मठ रायपुर।