पत्रिका ने प्रमुखता से मुद्दा उठाया तो स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने सोमवार को स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारिक सिंह के साथ कोरोना कंट्रोल एंड कमांड सेंटर के अफसरों की बैठक ली। बैठक में निर्देशित किया गया था कि राजनांदगांव, अंबिकापुर और बिलासपुर मेडिकल कॉलेजों में जल्द से जल्द लैब शुरू की जाए। मगर, अभी अभी कहीं शुरूआत नहीं हुई है। पूरा भार एम्स रायपुर, पं. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज रायपुर, स्व. बलीराम कश्यप मेमोरियल मेडिकल कॉलेज जगदलपुर और स्व. लखीराम अग्रवाल मेमोरियल मेडिकल कॉलेज रायगढ़ पर है। पर इनमें भी सर्वाधिक भार एम्स और जगदलपुर की लैबों पर है।
इसके अलावा टीबी जांच करने वाली ट्रूनॉट मशीनों से जांच जारी है तो वहीं एसआरएल लैब भी जांच कर रही है। मगर, इनमें हो रही जांच की संख्या कम है। अगर, जांच की यही रफ्तार रही तो पेंडिंग केस 5 हजार के पार भी पहुंच सकते हैं। बुधवार की रिपोर्ट के मुताबिक एम्स में 2544, जगदलपुर में 1122, रायपुर में 8 और रायगढ़ में 163 जांच पेंडिंग रहीं।
नहीं बढ़ाएंगे जांच की रफ्तार या लैब तो खतरा बढ़ेगा-
विशेषज्ञों का मानना है कि स्वास्थ्य विभाग को ऐसी व्यवस्था करने की जरुरत है कि 24 घंटे के अंदर टेस्ट रिपोर्ट आ जाए, ताकि आगे की कवायद की जा सके। मगर, स्थिति यह है कि रिपोर्ट 3-3 दिन में आनी शुरू हो गई है। वह इसलिए क्योंकि अभी भी लैबों में दो ही शिफ्ट में सैंपल लग रहे हैं। गौरतलब है कि प्रदेश की लैबों में 42566 सैंपल पहुंचे हैं जिनमें से 38619 की रिपोर्ट निगेटिव है। बाकि पेङ्क्षडग जा रहे हैं। यही सबसे बड़ा खतरा हैं।