दीपक तले अंधेरा
शिक्षकों की कमी को लेकर शाला प्रबंधन समिति ने जिला शिक्षाधिकारी और शिक्षा मंत्री के सचिव को भी शिकायत की थी। यह स्कूल खुद प्रदेश और जिला की शिक्षा व्यवस्था का संचालन करने वाले डीईओ और माध्यमिक शिक्षामंडल के कार्यालय के पीछे है लेकिन इस ओर अधिकारियों की नजर नहीं जा रही है।
सुविधाएं नहीं
राज्य के बजट में शिक्षा के लिए 12472 करोड़ का बजट तय किया गया है, लेकिन स्कूल में न तो लाइब्रेरी न कंप्यूटर रूम है। बतादें कि यह वहीं स्कूल हैं जहां के दो बच्चों को खुद राज्यपाल ने इसी गणतंत्र दिवस को वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया था।
1-1 पीरियड ले रहे है अटैच टीचर
शिकायत के बाद जिला शिक्षाधिकारी ने पास के ही प्राइमरी स्कूल की दो महिला शिक्षिकाओं को यहां अटैच किया है। जो एक-एक पीरियड लेकर वापस प्राइमरी में सेवाएं देने चली जाती हैं। जबकि स्कूल में कुल 7 पीरियड लगते हैं। यहां की प्रिंसिपल 21 जनवरी को सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। अभी उन्हें 31 मार्च तक का एक्सटेंशन दिया गया है। दूसरी ओर एक अन्य स्थाई शिक्षक को गंभीर बीमारी होने के कारण इलाज के लिए छुट्टी लेनी पड़ती है।
गांवों के स्कूल को बना रहे स्मार्ट
जिलाधीश गांवों के दर्जनों स्कूलों को स्मार्ट बनाने का दावा कर रहे हैं लेकिन शहर के स्कूलों की ओर उनका ध्यान नहीं है। इस वजह से न तो स्कूल में शिक्षक है न ही लाइब्रेरी और कंप्यूटर है। पत्रिका टीम ने जब 8वीं कक्षा के बच्चों से चर्चा की तो पता चला की अभी कई विषयों के कोर्स आधे भी नहीं हुए हैं।