इन लोगों का कहना था कि महापुरुषों का आदरांजलि देने के लिए निगम के महापौर, सभापति, नेताप्रतिपक्ष, उपनेता प्रतिपक्ष और संस्कृति विभाग के अध्यक्ष को समय नहीं हैं, तो जनता की समस्याओं का निराकरण करने में कितनी रुचि लेते होंगे। वहीं, इस मामले में महापौर प्रमोद दुबे का कहना है कि कार्यक्रम की सूचना मिली थी, लेकिन अचानक एक पार्षद के पिता का निधन होने के कारण दाह-संस्कार में शामिल होने चले गए थे। इसलिए कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाया। वहीं, सभापति प्रफुल्ल विश्वकर्मा और नेता प्रतिपक्ष सूर्यकांत राठौर का कहना है कि कार्यक्रम की सूचना ही संस्कृति विभाग द्वारा नहीं दी गई थी। यदि सूचना देते तो जरूर कार्यक्रम में शामिल होते। संस्कृति विभाग के अध्यक्ष राधेश्याम विभार का कहना है कि उनकी भाभी हॉस्पिटल में भर्ती है, इसलिए वे कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए। कार्यक्रम में संस्कृति विभाग के अधिकारी डॉ. प्रीतम मिश्रा शामिल थे। उन्होंने बताया कि सभी जनप्रतिनिधियों को सचिवालय द्वारा सूचना भेजी जाती है। इस कार्यक्रम के लिए भी सूचना भेजी गई थी।
उन्होंने अपना बचपन भील क्षेत्र में बिताया व श्रेष्ठ तीरंदाज की तरह उन्होंने जो तीर चलाया वह अंग्रेज सरकार की पुलिस सब इंसपेक्टर को लगा। अंग्रेज सरकार ने उन्हें पकडक़र मात्र 14 बरस की आयु में इसके लिए कोड़े मारने की सजा सुनाई। उन्होंने शहीद चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर वार्ड, जोन, शहर को स्वच्छ बनाने व समाज में गरीब वर्ग व जरूरत मंदों की सहायता सहज रूप में करने प्रण लेने का आह्वान किया।