रायपुर

50 दिन घरों में रहकर भी 50 फीसदी लोग नहीं समझ पाए सोशल डिस्टेंस, मेहनत पर पानी ना फेर दे ये बेफिक्री

50 दिन बाद खुले बाजार में कुछ दुकानदार ऐसे भी थे जो चाहते थे कि उनके सामान की बिक्री सबसे ज्यादा हो इसलिए उन्होंने ना तो सोशल डिस्टेंसिंग से कोई मतलब रखा और ना ही लोगों ने मास्क या रूमाल लगाकर रखा।

रायपुरMay 21, 2020 / 07:54 pm

Karunakant Chaubey

50 दिन घरों में रहकर भी 50 फीसदी लोग नहीं समझ पाए सोशल डिस्टेंस, मेहनत पर पानी ना फेर दे ये बेफिक्री

रायपुर. सोमवार को लॉकडाउन का चौथा चरण शुरू हुआ। पहले तीन चरणों में लोग 50 दिनों तक अधिकतर नगरवासी घर में ही लॉक होकर रहे। सिर्फ जरूरी काम के चलते ही बाहर निकल रहे थे। इन 50 दिनों में उनकी सुबह की शुरुआत जब समाचार पत्र से हुई तो उसमें भी आए दिन सोशल डिस्टेंस बेहद जरूरी तथा बाहर निकलते समय मुंह पर मास्क रुमाल या कोई कपड़ा लगाकर जाना अति आवश्यक है।

इतना ही नहीं जब न्यूज चैनल देखा या सोशल मीडिया पर गया तो भी दूरी के संदेश आए दिन लोगों को जागरूक करने में लगे हुए हैं, लेकिन नगर के दुकानदार तथा लोगों को ना तो दो गज की दूरी से मतलब है और ना ही मास्क, रूमाल या कपड़े लगाने की परवाह है। अगर नगर कोरोना की कैद में जकड़ता है तो इनके अनुसार आज ही जकड़ जाए, लेकिन ये लोग ना तो सोशल डिस्टेंस का पालन करेंगे और ना ही मुंह पर कपड़ा लगाकर बाहर निकलेंगे। 50 दिन की मेहनत का असर इतना दिखा कि 50 प्रतिशत लोग भी नियम का पालन करते हुए नजर नहीं आए। कुछ दुकानदार ऐसे थे, जिन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग मेनटेन करने के लिए गोल घेरे भी बनाए, लेकिन लोगों की जल्दबाजी की तरफ ध्यान आकर्षित नहीं कर पाए। पहले से दुकान में सामान लेने के लिए अंदर गए लोगों के बीच से जल्दबाजी में सामान लेकर चलते बने।
सामान बेचने वालों को नहीं रही कोई चिंता

50 दिन बाद खुले बाजार में कुछ दुकानदार ऐसे भी थे जो चाहते थे कि उनके सामान की बिक्री सबसे ज्यादा हो इसलिए उन्होंने ना तो सोशल डिस्टेंसिंग से कोई मतलब रखा और ना ही लोगों ने मास्क या रूमाल लगाकर रखा। मुख्य बाजार में एक दुकान के काउंटर पर तो 12 लोग एक-दूसरे के साथ चिपक कर खड़े रहे, लेकिन सामान बेचने में मशगुल दुकानदार ग्राहकों को इतना भी नहीं कह पाया कि सोशल डिस्टेंसिंग रख लो या मास्क का प्रयोग करो। सबसे ज्यादा बुरा हाल मेन रोड पर देखने को मिला। बाजार में सुबह 11 बजे के बाद तो हालात इतने खराब हो गए कि पांव रखने तक की जगह नहीं बची। बाजार में जिस प्रकार की भीड़ लगातार देखने को मिल रही है, यदि एेसे ही हालात आगे भी बने रहे तो नगर कोरोना की कैद में आ सकता है। नगर से चंद किलोमीटर में कोरोना के मरीज मिल चुके हैं, फिर भी नगर के लोग सर्तक नहीं हैं।

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