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पेसा कानून लागू : ग्रामसभाएं हुईं और मजबूत

locationरायपुरPublished: Aug 09, 2022 11:24:49 pm

Submitted by:

ramendra singh

राजपत्र में प्रकाशन : 26 अधिकार मिले, बुनियादी फैसलों के लिए ग्रामसभाओं की अनुमति जरूरी

पेसा कानून लागू : ग्रामसभाएं हुईं और मजबूत

पेसा कानून लागू : ग्रामसभाएं हुईं और मजबूत

रायपुर. प्रदेश में पेसा कानून सोमवार से लागू हो गया है। राज्य शासन ने पेसा कानून के नियमों का प्रकाशन राजपत्र में कर दिया है। इस कानून के राजपत्र में प्रकाशन के बाद अब छह माह के भीतर विधानसभा की मंजूरी लेनी होगी। सरकार का विधानसभा में बहुमत है, इसलिए यह आसानी से पारित हो जाएगा। जिस दिन से राजपत्र में प्रकाशित हुआ है, उसी दिन से पेसा कानून लागू माना जाएगा। इस कानून को लागू होने के बाद अब पंचायतों में स्वशासन सुनिश्चित होगा। गांवों की बुनियादी सुविधाएं सड़क, बिजली, नाली आदि के लिए अब ग्राम सभाओं की अनुमति बिना ग्राम पंचायतें निर्णय नहीं ले पाएंगी। इसके अलावा राजस्व, उद्योग, वन, खनिज, से संबंधित फैसले ग्रामसभा लेगी। साथ ही गौण खनिजों पर अधिकार ग्रामसभा ही लेगी।

ये हैं कानून की खास बातें

– नए पेसा कानून में ग्राम सभाओं को आईपीसी के तहत 26 अधिकार दिए गए हैं। इसमें न्याय करना भी शामिल है। न्याय के अधिकार की खास बात यह है कि संतुष्ट न होने पर फरियादी को अपील करने का प्रावधान है।
– ग्रामसभा के अध्यक्ष का कार्यकाल एक साल का होगा। इसमें रोटेशन से पुरुष व महिला एक-एक वर्ष के लिए अध्यक्ष बन सकेंगे।
– सरपंच व उप सरपंच आदि को ग्रामसभा में पद नहीं मिलेगा। केवल गांव के सामान्यजन ही इसमें शामिल होंगे। पंचायती राज व्यवस्था के पर्यवेक्षण का काम भी ये सभाएं कर सकेंगी।
– गांवों में रहने वाले सभी वर्गों, समुदायों के लोगों की संस्कृति, रीति-रिवाजों को पेसा में संरक्षण दिया गया है।
– ग्राम सभाएं अपनी जरूरत के अनुसार शांति समिति, वित्त समिति जैसी कमेटियां बना सकेंगी। वे अपने गांवों की आमदनी बढ़ाने के उपाय भी कर सकेंगी।
– पेसा नियम के अंतर्गत सभी वर्गों को ग्राम सभा की समितियों में प्रतिनिधित्व मिलेगा। अनुसूचित जनजाति वर्ग को न्यूनतम 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व का प्रावधान है, इसके साथ ही ओबीसी, अनुसूचित जाति, अनारक्षित वर्ग सभी को उनकी आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व का अवसर मिलेगा।
– यह कानून जनजातीय समुदायों, अनुसूचित क्षेत्रों के निवासियों के स्वशासन की अपनी प्रणालियों के माध्यम से खुद को नियंत्रित करने के अधिकार को मान्यता देता है। इस कानून के लागू होने के बाद अब जंगली इलाकों में किसी काम के लिए सरकार की ही नहीं बल्कि आदिवासियों की सहमति भी जरूरी होगी। इस कानून के लागू होने से उन इलाकों में सरकार की मनमर्जी के अलावा उन क्षेत्र के लोगों की सहमति से ही काम होंगे।
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