हिन्दू धर्म में दान का बड़ा महत्व है। खासकर पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध पक्ष में किए गए श्राद्ध कर्म के साथ-साथ दान न केवल पितृ दोष को दूर करता है, बल्कि परिवार की प्रगति में आ रही बाधाओं को भी दूर करता है।
भगवान सूर्यदेव को नौग्रहों का राजा माना गया है। प्राणी मात्र का प्राण दाता कहा जाता है। सूर्य के सुप्रभाव से व्यक्ति के जीवन में भरपूर मान-सम्मान के साथ-साथ हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। सूर्य प्रकाश पुंज है और हमारे दिवंगत पितरों को प्रकाश माना जाता है। अगर पितृ पक्ष वाले रविवार को लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनकर उपासना करने के साथ शक्तिशाली मंत्रों का जाप किया जाए तो जीवन में धन से जुड़ी बाधाएं भी दूर होती हैं। साथ ही साथ तेजस्वी बनता है।
पितृ पक्ष के रविवार को भी आपको दान करना चाहिए गुण, गेहूं, तांबा के अलावा लाल पुष्प का दान करना चाहिए। पूरे सृष्टि में प्रकाश और ऊर्जा का श्रोत सूर्य ही है। सूर्य को स्वस्थ पिता और आत्मा का कारक माना जाता है। कुंडली में सूर्य के मजबूत होने से मान सम्मान की प्राप्ति होती है। बहुत से लोग रोजाना सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं, पूजा करते हैं , जल चढ़ाते हैं। यदि आप पितृ पक्ष के दौरान सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं तो इसका फल अतिशीघ्र जीवन में देखने को मिलता है।
पितृ पक्ष के अंतिम रविवार करें ये तीन महाउपाय
– सूर्य देव को अर्घ्य देते समय लाल या पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए। तांबे के लोटे से काले तिल डालकर जल का अर्पण करें।
– श्राद्धकर्म में तुलसी, भोग और ब्राम्हण का प्रयोग किया जाता है वो मोक्ष प्रदान करने वाला होता है। तुलसी दल के प्रयोग से पूर्वज बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। तांबे के लोटे में तुलसी के पत्ते भी डालकर जल का अर्पण करें। एक बात का ध्यान रखें रविवार के दिन तुलसी के पत्ते को न तोड़े। एक दिन पहले तुलसी के पत्ते तोड़ लें या आसपास गिरे पत्तों को गंगाजल से साफ कर प्रयोग में ला सकते हैं।
– कुशा घास अति पवित्र होती है। यह बहुत ही शुद्ध मानी जाती है। इसलिए इसे धारण करके या जल में डाल कर अर्पण करने पूर्वज प्रसन्न होते हैं। वायु पुराण में भी कहा गया है जो व्यक्ति श्राद्ध में पितरों को तिल और अर्पित करते हैं तो पितरों को मुक्ति मिलती है।
सूर्य देव को अर्घ्य देते समय कुछ मंत्र का तीन बार जाप करना चाहिए। इस मंत्र का जाप केवल पितृ पक्ष में रविवार या आमवस्या के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देते समय ही करना चाहिए।
इन मंत्रों का करें जाप
ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।
ॐ आद्य भूताय विद्महे सर्व सेव्याय धीमहि।
शिव शक्ति स्वरूपेण पितृ देव प्रचोदयात्। इसके बाद कष्ट झेल रहे पूर्वजों को मुक्ति दिलाने के लिए सूर्यदेव से प्रार्थना करें। इसके बाद पितृ देव को प्रणाम कर
ॐ पितृ देवताय नमः का 108 बार जाप करें। साथ ही जीवन में दुःख दरिद्रता आ रही है उसे दूर करने की प्रार्थना करना है। ऐसा करने से सूर्य देव के साथ पितृ भी खुश होते हैं।