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Pitru Paksha Amavasya 2020: पितृ अमावस्या 17 को: श्राद्ध और तर्पण से मिलती है पितृ ऋण से मुक्ति

locationरायपुरPublished: Sep 11, 2020 01:30:13 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

गरूड़ पुराण में वर्णित पितर ऋण मुक्ति…समयानुसार श्राद्ध करने से परिवार में कोई दुखी नहीं रहता। पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, श्री, पशु, सुख और धन-धान्य प्राप्त करता है। देवकार्य से भी पितृकार्य का विशेष महत्व है।

रायपुर. पितृ पक्ष (Pitru Paksha) में गायत्री शक्ति पीठ समता कॉलोनी में प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी पितरों की शांति के लिए सामूहिक श्राद्ध और तर्पण के कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन 17 सितंबर को पितृ अमावस्या (Pitru Paksha Amavasya 2020) के दिन सुबह 10 बजे से होगा, जिसमें सामूहिक श्राद्ध और तर्पण का कार्य मंदिर के परिव्राजकों के द्वारा कराया जाएगा। इसके लिए गायत्री शक्तिपीठ में श्राद्ध और तर्पण कराने वाले परिजनों का पंजीयन जारी है। इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण को वायरस को देखते हुए सोशल डिस्टेंस और प्रशासन की गाइडलाइन का पालन करते हुए आयोजन कराया जाएगा।
गायत्री मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी सचिव सदाशिव हथमल ने बताया कि गायत्री मंदिर में श्राद्ध पक्ष के प्रारंभ से लेकर सर्वपितृ अमावस्या तक नियमित रूप से कई पारियों में सामूहिक श्राद्ध-तर्पण संस्कार संपन्न होता है। उन्होंने कहा कि श्राद्धकर्म के पश्चात पौधे रोपने से यह फल कई गुना बढ़ जाता है। पितृ पक्ष में किए गए कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है और कर्ता को पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।
आत्मा की अमरता का सिद्धांत तो स्वयं भगवान श्री कृष्ण गीता में उपदेशित करते हैं। इस दौरान उसे श्राद्ध कर्म में पितरों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है। इस अवसर पर देश के कई इलाकों से आए श्रद्धालु अपने पितरों के निमित्त कर्मकांड में भाग लेते है। वहीं, अमावस्या के अवसर पर वीर शहीदों की आत्मशांति के लिए विशेष वैदिक मंत्रों के साथ यज्ञ में आहुतियां दी जाएगी।

हिन्दू धर्म में श्राद्ध पक्ष का बड़ा महत्व
हिन्दू धर्म में श्राद्ध पक्ष का बड़ा महत्व (Pitru Paksha Amavasya 2020 Importance) है। प्राचीन सनातन धर्म के अनुसार हमारे पूर्वज देवतुल्य हैं और उन्होंने हमारा उन्होंने हमारा लालन-पालन जिस प्रकार किया है, उसके हम कृतार्थ और ऋणी हैं। समर्पण और कृतज्ञता की इसी भावना से श्राद्ध पक्ष प्रेरित है, जो परिजनों को पितर ऋण से मुक्ति मार्ग दिखाता है।

श्राद्ध करने के परिवार में आती है सुख व शांति
गायत्री मंदिर के परिव्राजक नरेंद्र आडिल और कार्यकर्ता कोमल साहू ने बताया कि गरूड़ पुराण में वर्णित पितर ऋण मुक्ति…समयानुसार श्राद्ध करने से परिवार में कोई दुखी नहीं रहता। पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, श्री, पशु, सुख और धन-धान्य प्राप्त करता है। देवकार्य से भी पितृकार्य का विशेष महत्व है।

देवताओं से पहले पितरों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी होता है। उन्होंने कहा कि श्राद्ध शब्द श्रद्धा से बना है, जो श्राद्ध का प्रथम अनिवार्य तत्व है अर्थात पितरों के प्रति श्रद्धा तो होनी ही चाहिए। आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से अमावस्या तक का समय श्राद्ध पक्ष कहलाता है। यही अवधि पितृ पक्ष के नाम से जानी जाती है।

एक कुंडलीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन
पितरों आत्माओं की तृप्ति के लिए सामूहिक श्राद्ध तर्पण और एक कुंडलीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया जाता है । इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम सामूहिक मंत्र जाप और प्रार्थना की जाती है। देव पूजन के पश्चात श्राद्ध-तर्पण सामूहिक रूप से किया जाता है। सभी लोगों के द्वारा अपने पूर्वजों को तर्पण दिया जाता है और एक कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में देश की एकता अखंडता अमन चैन एवं राष्ट्र भावना जागृत करने के लिए आहुति दी जाती है।

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