script3 साल में 8 लाख 13 हजार पौधे लगाए गए लेकिन देखरेख का कोई इंतजाम नहीं, केवल 70 प्रतिशत जीवित | Planted 8 lakh 13 thousand saplings in 3 years in raipur | Patrika News

3 साल में 8 लाख 13 हजार पौधे लगाए गए लेकिन देखरेख का कोई इंतजाम नहीं, केवल 70 प्रतिशत जीवित

locationरायपुरPublished: Jul 14, 2020 04:50:23 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

पिछले 3 साल में वन विभाग के अधिकारियों ने लगभग 8 लाख 13 हजार पौधों का रोपण किया। ग्रामीण क्षेत्रों को छोड़ दे, तो शहरी क्षेत्रों में इन पाधों को बचाने में वन विभाग के अधिकारी नाकाम साबित हो रहा है। विभागीय आंकड़ों की मानें तो ग्रामीण क्षेत्र रोपित पौधे के 90 प्रतिशत और शहरी में क्षेत्र 60 प्रतिशत पौधे बचे है।

रायपुर. राजधानी रायपुर में हरियाली आए और पर्यावरण शुद्ध हो इसलिए वन विभाग के अधिकारी पौधारोपण करके पौधों को जीवित रखने के लिए लाखों रुपए खर्च करते हैं। इस खर्चे के बावजूद विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों की लापरवाही के चलते जिले के पौधे जिंदा नहीं बच पा रहे है।

पिछले 3 साल में वन विभाग के अधिकारियों ने लगभग 8 लाख 13 हजार पौधों का रोपण किया। ग्रामीण क्षेत्रों को छोड़ दे, तो शहरी क्षेत्रों में इन पाधों को बचाने में वन विभाग के अधिकारी नाकाम साबित हो रहा है। विभागीय आंकड़ों की मानें तो ग्रामीण क्षेत्र रोपित पौधे के 90 प्रतिशत और शहरी में क्षेत्र 60 प्रतिशत पौधे बचे है। विभागीय अधिकारियों का यह आंकड़ा अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है।

विभागीय अधिकारियों की इस लापरवाही पर पर्यावरणविदों का कहना है, कि जिले में महज 1250 हेक्टेयर जंगल है, जबकि जिले का भूभाग 2 लाख 91 हजार 437 हेक्टेयर है। वन विभाग अपने काम में खरा नहीं उतर पा रहा है। विशेषज्ञों का कहना कि दस मीटर पर एक पेड़ होना चाहिए, लेकिन रायपुर में वर्तमान में 500 मीटर पर एक पेड़ है। इस हिसाब से 50 गुना कम पेड़ है।

वर्षवार लापरवाही का गणित

वन विभाग के अधिकारियों ने वर्ष 2016 में 3 लाख 81 हजार पौधा का रोपण जिले में किया था। ये पौधे नया रायपुर, श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी, आइटीएम, चंदखुरी पुलिस अकादमी, एमएम फन सिटी आदि जगहों पर पौधे लगाए थे। इनमें से 2 लाख 80 हजार पौधे जिंदा है। वर्ष 2017 में विभाग ने 3 लाख 23 हजार पौधे पलौद गांव, थनौद, पटेवा, आर्मी कैंप, सासा होली और सरोरा में लगाए थे, जिनमें से 2 लाख 70 हजार पौधे बचे हैं। वर्ष 2018 में विभाग ने १ लाख नौ हजार पौधे वीआइपी रोड के दोनों किनारे करीब नौ किलोमीटर तक, मंत्रालय के सामने, रविशंकर विश्वविद्यालय और चंदखुरी स्थित पुलिस अकादमी में लगाए। इनमें करीब २९ हजार पौधे सूख गए। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है, कि पौधारोपण करने के बाद पौधों को मॉनीटरिंग करने में विभागीय अधिकारी कितनी रूचि दिखा रहे हैं।

तीन साल में मरे 1 लाख 69 हजार पौधे

वन विभाग के आंकड़ो की मानें तो पिछले तीन साल में 8 लाख 13 हजार पौधे रोपित किए है। इनमें से वर्तमान में 6 लाख 44 हजार पौधे बचे है। एक्सपर्ट की मानें तो पौधा रोपण के दौरान रोपित पौधो के 10 प्रतिशत पौधों को नष्ट होने वाली श्रेणी में डाल दिया जाता है। विगत तीन वर्षों के आंकड़े में लगभग 30 प्रतिशत का डिफरेसं है और ये डिफरेंस अफसरों की खराब कार्यप्रणाली को दर्शाता है।

इस साल 1 लाख 32 हजार पौधा रोपित करने का लक्ष्य

वन विभाग के अधिकारियों ने वर्ष 2020 में 1 लाख 32 हजार पौधों को रोपित करने और 5 लाख पौधों को बाटने का लक्ष्य रखा है। रोपित किए हुए पौधे बचाए जा सके, इसलिए इस बार खारून नदि किनारे और मोहरंगा के जंगलों में पौधा रोपण वन विभाग के द्वारा किया जाएगा। जिन स्थानों पर पौधे रोपित होंगे, वहां पर कर्मचारियों की अस्थाई ड्यूटी लगाई जाएगी।

एक्सपर्ट व्यु

पेड़ लगाने के बाद वन विभाग के अधिकारी मॉनीटरिंग नहीं करते है, जिसका खामिया पौधों के साथ आम जनता को भी भुगतना पड़ता है। तीन वर्षों में जितनी बड़ी संख्या में पौधे नष्ट हुए, यदि वे पोधे जीवित होते तो बड़े होकर 4 करोड़ लीटर ऑक्सीजन प्रतिदिन देते है। यह ऑक्सीजन 57 लाख लोगों के लिए पर्याप्त थी। वन विभाग के अधिकारियों को अपनी गलती से सबक लेना चाहिए और भविष्य में यह गलती नहीं दोहराना चाहिए।

प्रो. शम्स परवेज, पर्यावरणविद

रोपित पौधों का बचाया जा सके, इसलिए पूरा ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है। इस वर्ष 1 लाख 32 हजार पौधे नदि और मोहरंगा के जंगलों में रोपित किया जा रहा है। 5 लाख पौधों को बांटने का हमने लक्ष्य रखा है। पौधे सुरक्षित रहे इसलिए कर्मचारियों की अस्थाई ड्यूटी लगाएंगे।

-बीएस ठाकुर, डीएफओ, रायपुर।

पेड़ लगाने के बाद अधिकारियों की जिम्मेदारी खत्म नहीं होती, लेकिन अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं।

– शम्स परवेज, पर्यावरण विशेषज्ञ

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