उधर, प्रदेश में गंभीर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मरीज के परिजन लगातार कोरोना को मात देकर स्वास्थ्य हुए लोगों से मुलाकात कर, डोनेशन का आग्रह कर रहे हैं तो वहीं अस्पतालों में प्लाज़्मा थेरेपी के बारे में, डोनर और डोनेशन प्रक्रिया के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं। हालांकि आईसीएमआर इस थेरेपी को उतना कारगर नहीं मान रहा है। मगर, इससे मरीजों और परिजन में उम्मीद तो जगी है।
विज्ञापन देकर कर रहे परिजन अपील-
कोरोनाकाल में मरीज के परिजन अपनों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास में जुटे हुए हैं। प्लाज़्मा थेरेपी इनके लिए आस बनी हुए है। इसलिए ये अखबारों में विज्ञापन देकर अपील कर रहे हैं कि उनके परिजन के लिए प्लाज़्मा डोनेशन करने वाले संपर्क करें।
कोरोनाकाल में मरीज के परिजन अपनों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास में जुटे हुए हैं। प्लाज़्मा थेरेपी इनके लिए आस बनी हुए है। इसलिए ये अखबारों में विज्ञापन देकर अपील कर रहे हैं कि उनके परिजन के लिए प्लाज़्मा डोनेशन करने वाले संपर्क करें।
इन संस्थानों ने किया आवेदन-
बालको मेडिकल सेंटर, आंबेडकर अस्पताल, एसएसडी सेंटर, सिटी ब्लड बैंक व रामकृष्ण केअर हॉस्पिटल। यह है पूरी प्रक्रिया-
मरीज कौन- कोरोना के ऐसे मरीज जो गंभीर लक्षण वाले हैं जिन्हें मोडरेट सिम्प्टोमैटिक पेशेंट कहा जाता है, उन्हें ही प्लाज़्मा थेरेपी दी जाती है। क्योंकि उनमें रिकवरी की संभावना अधिक होती है। यानी वे मरीज जो वेंटिलेशन पर हैं। तभी उसके बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक देश में कई संस्थानों ने मरीज के चयन में गाइडलाइन का पालन नहीं किया जिसकी वजह से परिणाम बेहतर नहीं मिले।
बालको मेडिकल सेंटर, आंबेडकर अस्पताल, एसएसडी सेंटर, सिटी ब्लड बैंक व रामकृष्ण केअर हॉस्पिटल। यह है पूरी प्रक्रिया-
मरीज कौन- कोरोना के ऐसे मरीज जो गंभीर लक्षण वाले हैं जिन्हें मोडरेट सिम्प्टोमैटिक पेशेंट कहा जाता है, उन्हें ही प्लाज़्मा थेरेपी दी जाती है। क्योंकि उनमें रिकवरी की संभावना अधिक होती है। यानी वे मरीज जो वेंटिलेशन पर हैं। तभी उसके बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक देश में कई संस्थानों ने मरीज के चयन में गाइडलाइन का पालन नहीं किया जिसकी वजह से परिणाम बेहतर नहीं मिले।
डोनर कौन-
– ऐसा कोरोना मरीज जो स्वास्थ्य हो चुके हैं। ठीक होने के 28 दिन बाद प्लाज़्मा डोनेट कर सकते हैं। – स्वास्थ्य हुए मरीज में एंटीबॉडी होने चाहिए।
– मरीज किसी दूसरी बीमारी से ग्रसित न हो।
– ऐसा कोरोना मरीज जो स्वास्थ्य हो चुके हैं। ठीक होने के 28 दिन बाद प्लाज़्मा डोनेट कर सकते हैं। – स्वास्थ्य हुए मरीज में एंटीबॉडी होने चाहिए।
– मरीज किसी दूसरी बीमारी से ग्रसित न हो।
यह है प्रक्रिया-
स्टेप1- स्वास्थ्य हो चुके कोरोना मरीज का सबसे पहले एंटीबाडी टेस्ट किया जाता है। इसकी एक खास किट होती है। इसमें एक से सवा घंटे का समय लगता है। स्टेप2- शरीर से 400-500 एमएल प्लाज़्मा निकला जाता है।
स्टेप3- इस प्लाज़्मा को 2 यूनिट में बांटकर। 24 घण्टे में मरीज को दो बार में चढ़ाया जाता हैं।
स्टेप1- स्वास्थ्य हो चुके कोरोना मरीज का सबसे पहले एंटीबाडी टेस्ट किया जाता है। इसकी एक खास किट होती है। इसमें एक से सवा घंटे का समय लगता है। स्टेप2- शरीर से 400-500 एमएल प्लाज़्मा निकला जाता है।
स्टेप3- इस प्लाज़्मा को 2 यूनिट में बांटकर। 24 घण्टे में मरीज को दो बार में चढ़ाया जाता हैं।
(- जैसा पत्रिका को बालको मेडिकल सेंटर के ट्रांसफ्यूजऩ मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. नीलेश जैन ने बताया) खर्च- जानकारी के मुताबिक इस पूरी प्रक्रिया में 15,000 से 18,000 रुपए खर्च आता है। यह प्लाज़्मा थेरेपी का खर्च हैं, बाकी कोरोना इलाज का खर्च अलग से।
अभी तक 8-10 मरीजों को प्लाज़्मा थेरेपी दी गई है, जिसके परिणाम बेहतर रहे हैं। समस्या यह आ रही है कि डोनर नहीं मिल रहे हैं। मुझे लगता है इसके लिए जागरूकता बेहद जरूरी है।
डॉ. नीलेश जैन, विभागाध्यक्ष, ट्रांसफ्यूजऩ मेडिसिन, बालको मेडिकल सेंटर
डॉ. नीलेश जैन, विभागाध्यक्ष, ट्रांसफ्यूजऩ मेडिसिन, बालको मेडिकल सेंटर
प्लाज़्मा थेरेपी के लिए अलग से लाइसेंस लेने की आवश्यकता नहीं है। कुछ संस्थानों ने हमें सूचना देकर प्लाज़्मा थेरेपी शुरू की है, कुछ करने जा रहे हैं। इसे लेकर आईसीएमआर की गाइडलाइन का पालन करना है।
हिरेन पटेल, सहायक औषधि आयुक्त, एफडीए छत्तीसगढ़
हिरेन पटेल, सहायक औषधि आयुक्त, एफडीए छत्तीसगढ़