scriptनाटकों में युद्ध की विभीषिका, संकीर्ण सोच और पुरुष मानसिकता उजागर | Plays reveal the horrors of war, narrow thinking and male mentality | Patrika News

नाटकों में युद्ध की विभीषिका, संकीर्ण सोच और पुरुष मानसिकता उजागर

locationरायपुरPublished: Dec 16, 2019 05:44:14 pm

Submitted by:

Yagya Singh Thakur

ययाति-राजकुमार, देवयानी, दासी- गायत्री साहू, पुरु, आम आदमी, जल्लाद व सारथी – वैभव रणसिंह, कच, जल्लाद, मुनि- गौतम साहू, मंदबुद्धि युवा-पुत्र3 – लोकेश प्रजापति, जल्लाद पुत्र2- विनोद डिंडोलकर, जल्लाद, आत्मा पुत्र1 व ऋषि चंद्रप्रकाश साहू, आम आदमी- सोहन साहू, नटवर कन्नौजे, आकाश वर्मा, हरीश साहू, दासी और अलका-नेहा साहू, प्रेतात्मा की भूमिका-गोपी कुर्रे ने निभाई।

नाटकों में युद्ध की विभीषिका, संकीर्ण सोच और पुरुष मानसिकता उजागर

नाटकों में युद्ध की विभीषिका, संकीर्ण सोच और पुरुष मानसिकता उजागर

रायपुर जनमंच में आयोजित हबीब तनवीर नाट्य स्पर्धा में दूसरे दिन चार नाट्य प्रस्तुतियां हुईं जिनको मूल स्वरूप युद्ध की विभीषिका, पुरुष की महत्वाकांक्षा और उसकी मानसिकता, तालिबानी सोच पर केंद्रित थीं। पहली प्रस्तुति रायपुर के डॉ. राधा बाई कन्या महाविद्यालय द्वारा की गई जो विष्णुप्रभाकर की कहानी सांप और सीढ़ी पर आधारित थी। दूसरी प्रस्तुति शास्वत उत्सर्ग यूथ थियेटर ग्रुप धमतरी द्वारा तृष्णा, तीसरी प्रस्तुति आईआईटी भिलाई द्वारा जंग और चौथी प्रस्तुति रंगदक्ष सांस्कृतिक मंच रायपुर का किशोर वैभव के निर्देशन में भटकते सिपाही नाटक के रुप में की गई। चारों प्रस्तुतियों ने दर्शकों को प्रभावित किया।
तृष्णा

नाटक में पौराणिक प्रतीत होने वाले किन्तु वास्तव में भोगवाद का शिकार होकर जीवन को तहस-नहस कर रहे वर्तमान सामाजिक राजनीतिक जीवन का चित्रण किया गया। ययाति-राजकुमार, देवयानी, दासी- गायत्री साहू, पुरु, आम आदमी, जल्लाद व सारथी – वैभव रणसिंह, कच, जल्लाद, मुनि- गौतम साहू, मंदबुद्धि युवा-पुत्र3 – लोकेश प्रजापति, जल्लाद पुत्र2- विनोद डिंडोलकर, जल्लाद, आत्मा पुत्र1 व ऋषि चंद्रप्रकाश साहू, आम आदमी- सोहन साहू, नटवर कन्नौजे, आकाश वर्मा, हरीश साहू, दासी और अलका-नेहा साहू, प्रेतात्मा की भूमिका-गोपी कुर्रे ने निभाई।
सांप और सीढ़ी

इस नाटक में मनुष्य की अति महत्वाकांक्षा और जीवन मूल्यों की रक्षा के लिए उसके संघर्ष को इंगित किया गया है।
नाटक में पात्र अजीत-भारती साहू, कविता (पत्नी) अंजली, भाई रणजीत- शीतल भोई, बहन शिप्रा- रोशनी साहू, बत्रा- भूमिका निर्मलकर, चपरासी – किरण अग्रवाल अभिनय किया।
जंग

इस नाटक में अफगानिस्तान के तालिबान के कब्जे में होने की दर्द को बयां किया गया। नाटक में अफगानिस्तान में तालिबान से जंग के दौरान मरियम की जिदंगी की उहापोह को बताया गया। मरियम- इशिका जैस्वाल, लैला- पूजा बंसल, राशिद- शिवांश मिश्रा, तारिक- उत्कर्ष गुप्ता, अब्दुल- रथिन्द्र नथमल, अजीजा- वर्षा गुप्ता, जालमाई- अनमोल सिंघल, जमान फैजान राकिन, सेक्रेटरी- प्रितेश रोशन, साउंड-अथर्व भंगाले, लाइट्स हिमाणी मदान, मेकअप यशप्रिया नायक।
भटकते सिपाही

महाभारत के युद्ध में शामिल एक सिपाही की मुलाकात वर्तमान में युद्ध की विभीषिका झेल रहे सिपाही से करवाकर बेहद रोचकता पैदा कर दी, दोनों की युद्ध शैली अपने अपने समय की है, दोनो के हथियार अपने अपने समय के हैं। महाभारत काल के सिपाही की भूमिका लोकेश्वर साहू, आधुनिक काल के सिपाही की भूूमिका शैलेश देवांग, सूत्रधार राकेश साना, बालकलाकार चेतन मोडक, लाईट और सहयोगी संत, निशित और विशाल की प्रस्तुति की।
आज की प्रस्तुति : सोमवार को शाम 4.30 बजे अंत हाजिर हो, शाम 5.30 बजे ख्वाहिशें, तथा 6.30 बजे बड़ी जिज्जी की प्रस्तुति की जाएगी।
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