राजधानी के बैंकों में स्थिति यह है कि हर साल 330 रुपए सालाना प्रीमियम वसूल किए जाने के बाद भी यदि किसी खाताधारक की मृत्यु हो जाए तो उन्हें क्लेम की राशि भी नहीं मिल रही है। इस सवाल पर बैंक प्रबंधन का कहना है कि क्लेम के लिए उन्हें पॉलिसी दिखानी होगी, जबकि पॉलिसी उपभोक्ताओं को उपलब्ध ही नहीं कराई जा रही है।
शहर में ऐसे भी उपभोक्ता मिले हैं, जिन्होंने बैंक पर दबाव बनाकर पॉलिसी पेपर लिया है, लेकिन इनकी संख्या काफी कम 5 फीसदी ही है है। कई उपभोक्ताओं को यह पता ही नहीं कि उनके खाते प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के नाम पर 330 रुपए हर साल काटी जाती है। इसके एवज में उन्हें 2 लाख रुपए बीमा राशि की पात्रता होती है। पॉलिसी के लिए बैंक में अधिकारी उपभोक्ताओं को सही जवाब नहीं दे पा रहे हैं।
प्रदेश में बैंक शाखाएं- 2750
एटीएम- 3200
बीमित राशि
330 रुपए का विभाजन
एलआइसी /बीमा कंपनी को प्रीमियम- 289 रुपए
बीसी/अभिकर्ताओं की व्यय पूर्ति- 30 रुपए
सहभागी बैंकों के प्रशासनिक व्यय की पूर्ति- 11 रुपए
फैक्ट फाइल
योजना का नाम- प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना
बीमित राशि- 2 लाख रुपए
हर साल बीमे की राशि- 330 रुपए
क्लेम के समय पॉलिसी नंबर जरूरी
बैंक ने क्लेम के लिए जो फार्मेट जारी किया है, उसमें पॉलिसी संख्या का उल्लेख अनिवार्य रूप से किया जाना है। इसके साथ अन्य विवरण जैसे योजना का नाम, मृत्यु का कारण, बैंक का नाम, खाते की संख्या, पॉलिसी संख्या, मृतक सदस्य का पूरा नाम, मृत्यु की वजह, नामिनी का नाम, नामिनी से संबंध, नामिनी का मोबाइल नंबर आदि उल्लेख किया जाना है।
40 लाख से अधिक खाताधारक
प्रदेश में 40 लाख से अधिक खाताधारक हैं। बैंक प्रबंधन द्वारा हर साल खाताधारक के खाते में योजना के नाम पर राशि काटी जाती है। चूंकि बैंक खाते में उपभोक्ताओं का पूरा पता उल्लेख होता है, लिहाजा पॉलिसी पेपर उनके पते पर भेजा जा सकता है, लेकिन प्रबंधन ने यह सुविधा अपने उपभोक्ताओं को नहीं दी है।
राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी (छत्तीसगढ़) के चीफ मैनेजर पी. भंडारी ने बताया कि उपभोक्ता बैंक में पॉलिसी की मांग कर सकते हैं, वहीं राशि कटने पर पासबुक पर अंकित कराएं व इसी के आधार पर बैंक पर वह क्लेम और पॉलिसी के लिए दावा कर सकते हैं, उन्हें योजना की पात्रता मिलेगी।