जानिए इस शख्स की कामयाबी की कहानी, यूके की जॉब छोड़ शुरू किया बिजनेस, अब तैयार कर रहे हैं स्टार्टअप की फौज
जानिए इस शख्स की कामयाबी की कहानी, यूके की जॉब छोड़ शुरू किया बिजनेस, अब तैयार कर रहे हैं स्टार्टअप की फौज

ताबीर हुसैन @रायपुर. 10 साल तक फूड का बिजनेस, देश-विदेश में हायर एजुकेशन की क्लासेस और उसके बाद स्टार्टअप की फौज तैयार करना। कहने को यह एक लाइन का किस्सा है लेकिन इसके पीछे मेहनत, जुनून और जज्बे की फेहरिस्त है। जी हां। यहां बात हो रही है 36 आइएनसी के सीइओ राजीव राय की। जिनसे बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्टार्टअप पर बात की।
राजीव ने बताया कि टाइम की कमी थी इसलिए हम दो लोगों से बात हो पाई। मेनली हमको यह बताना था कि छत्तीगसढ़ में हम क्या कर रहे हैं। मेट्रो से दूर रहने की वजह से लोग जान नहीं पाते कि हम यहां कर क्या रहे हैं। सालभर में स्पेस और इंक्यूबेट के हिसाब से हमारा सेंटर देश का नंबर दो तक पहुंच गया है।
जब पीएम ने पूछा कि एक साल में स्टार्टअप स्किल में सबसे बड़ा काम क्या हुआ है? मैं किसी एक स्टार्टअप को मेंशन नहीं करना चाहता था, इसलिए मैंने उन्हें बताया कि रायपुर जैसे शहर में हमने 36आइएनसी की शुरुआत की और अभी तक हम 43 स्टार्टअप बिजनेसमैन जुड़ चुके हैं। फ्यूचर में इसका ज्यादा से ज्यादा विस्तार किए जाने की प्लानिंग है। इसमें प्रदेश के रुरल इलाके भी शाामिल हैं।
दो बातें जो समय की कमी के चलते शेयर नहीं कर पाए
राजीव ने बताया कि हम यह भी बताना चाहते थे कि एक कंपनी ओपन कास्ट माइंड के लिए एेप बना रही है। यहां के उद्योग को ट्रेस करके अगर स्टार्टअप आगे बढ़ता है तो सपोर्ट के लिए लोकल मार्केट मिल जाएगा और उसके बाद ग्लोबल कॉम्पीटेटिव भी बन सकता है। दूसरी बात हम यह कहना चाहते थे कि हमारी पहली एेसी इंक्यूबेटर है जिसे हमने मॉल में स्टार्ट किया है। इसका फायदा यह है कि यूथ फिल्म देखने आते हैं तो उन्हें पता चलता है कि यहां इंक्यूबेटर भी है। वे दिलचस्पी लेते हैं।
हैंडीक्राफ्ट के लिए ऐप बनाने का सुझाव
मोदी ने ऐप-लॉप के संचालक राहुल सिंघल से छग के हैंडीक्राफ्ट के लिए मोबाइल ऐप बनाने का सुझाव दिया। सिंघल ने पीएम को बताया कि अभी तक 6 लाख से ज्यादा ऐप बनाए जा चुके हैं जिससे 10 हजार से अधिक स्टार्टअप की मदद की गई है।

यूके की जॉब छोड़ किया बिजनेस
अहमदाबाद से एमबीए करने के बाद राजीव ने यूके में प्राइस वाटर में जॉब किया। यहां वे छह महीने में ही ऊब गए। फिर खुद का बिजनेस किया। करीब १० साल तक विशाखापटनम, भुनेश्वर और गुडग़ांव में फूड सेक्टर का बिजनेस किया।
यूएस में पढ़ाया
जॉब और बिजनेस के बाद राजीव हायर एजुकेशन का रुख करने लगे। इसके तहत उन्होंने यूएस की लोएला यूनिवर्सिटी में पढ़ाया। भुनेश्वर के जेविअर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के बाद वर्ष 2005 रायपुर आइआइएम में क्लासेस ली। इसके बाद इंक्यूबेटर सेटअप में लग गए। ओमान, इंडोनेशिया और यूएस में सेटअप लगाया।

इसलिए स्टार्टअप तैयार किया
राजीव कहते हैं कि बहुत से लोग सिर्फ इसलिए बिजनेस में फेल हो जाते हैं कि उन्हें अर्ली स्टेज में सपोर्ट और सलाह नहीं मिल पाती जबकि वे काफी ब्रिलियंट रहते हैं। चूंकि मेरा एक्सपीरियंस बिजनेस और पढ़ाने दोनों का था। मैं चाहता था कि इन दोनों के बेहतर कॉम्बिनेशन से एन्टरप्रेन्योर तैयार करूं। मुझे यकीन था कि बेहतर इंपेक्ट दे पाऊंगा। अक्सर एेसा होता है कि यदि आप बिजनेस में हैं तो वहां से निकलना मुश्किल होता है, इसी तरह अगर आप एजुकेशन में हैं तो वहीं के रह जाते हैं। मैंने तय किया इन अपने तजूर्बे का फायदा उन लोगों को दूं जो काबिल होते हुए भी थोड़ी सी चूक की वजह से पीछे रह जाते हैं।
जन्म बिहार में, परवरिश बंगाल में
राजीव के फादर रेलवे में थे। उनका जन्म बिहार में हुआ लेकिन परवरिश बंगाल में हुई। वे मूल रूप से ओडिशा से हैं। वे कहते हैं इंडिया में इकॉनामिक ग्रोथ के लिए एंट्रप्रन्योर बहुत जरूरी है। इसलिए मैंने 36आइएनसी की नींव डाली। मेरे अनुभव का लाभ एंटरप्रेन्योर्स को जरूर मिलेगा।
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