पुलिस ने सभी के खिलाफ केवल बाल संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज कर गिरफ्तार किया, जबकि पूरा मामला मानव तस्करी का है। मौदहापारा पुलिस आरोपियों की पहचान छुपाने की दिनभर कोशिश करती रही। फोटो लेने से भी रोका गया। पकड़े गए आरोपियों में पलारी निवासी नवजात की मां ईश्वरीबाई, नवजात को बेचने वाली टाटीबंध निवासी ममता गोस्वामी, ग्राहक ढूंढने वाली एजेंट पुरानीबस्ती निवासी रूपा सिंह राठौर और संजय गणात्रा सहित नवजात को खरीदने वाला महासमुंद जिले के सरायपाली निवासी भूपेश माखीजा शामिल है।
50 हजार में हुआ सौदा : ममता ने नवजात का सौदा करीब 50 हजार रुपए में भूपेश से किया था। पूरा लेनदेन ममता, पुष्पा और संजय के बीच हुआ। भूपेश ने 50 हजार संजय को दिए और संजय ने फिर रूपा के माध्यम से ममता को दिए। ममता ने करीब 15 हजार रुपए ईश्वरी को दे दिए थे। बाकी रकम अपने पास रख ली। कुछ हिस्सा रूपा को भी दिया था।
ऐसे खुला पूरा मामला
नवजात को बेचने के बाद ममता ने ईश्वरी को अपने घर पर ही रखा था। ममता कुछ दिन काम करवाने के बाद ईश्वरी पर पति के पास जाने के लिए दबाव बनाने लगी। नवजात के बिकने के बाद ईश्वरी वापस नहीं जाना चाहती थी। इस कारण 22 मार्च को ममता ने अपनी ननद के साथ ईश्वरी को जबरदस्ती महिला थाने भेजा। ममता की ननद ने पुलिस को बताया कि ईश्वरी को उसका पति घर नहीं ले जा रहा है।
इसके बाद महिला थाना प्रभारी भारती मरकाम ने ईश्वरी के पति नामदास को फोन किया और रायपुर बुलाया। नामदास रायपुर के लिए रवाना हुआ। रात होने के वजह से महिला थाने से ईश्वरी को वनस्टॉप सखी सेंटर भेज दिया गया। नामदास सखी सेंटर पहुंचा। सखी सेंटर में महिला काउंसलर ने ईश्वरी और नामदास की काउंसलिंग की। इस दौरान पूरे मामले का खुलासा हुआ।
रायपुर मौदहापारा थाना के टीआई राहुल तिवारी ने बताया कि महिला एवं बाल विकास की ओर से मिली शिकायत के बाद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। नवजात को बेचने के लिए पैसे के लेनदेन संबंधी जानकारी नहीं मिली है। आरोपियों के फोटो नहीं दिए जा सकते हैं।