रायपुर

पर्यावरण पर न आए आंच!

कोल ब्लॉक में खनन को फिलहाल मंजूरी नहीं

रायपुरApr 20, 2018 / 07:21 pm

Gulal Verma

रायपुर। राज्य और देश के आर्थिक विकास के लिए खनिज की खोज में खनन जरूरी है। लेकिन खनन की मंजूरी देने से पहले यह जरूर देख लेना चाहिए कि पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचेगा।
पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर किया गया विकास कतई प्रशंसनीय नहीं है। हाल के वर्षों में वनों की अंधाधुंध कटाई और खनिजों का बेतहाशा उत्खनन होने से पर्यावरण को भारी क्षति हुई है। इसके दुष्प्रभाव से ‘मौसमÓ भी अछूता नहीं रहा है। मौसम चक्र में परिवर्तन अशुभ संकेत है।
मानव जीवन के लिए पर्यावरण का संरक्षण जरूरी है। केवल मानव जीवन ही नहीं, बल्कि वन्य जीवन को बचाना भी हमारा ही कर्तव्य है। प्रदेश के जंगलों-पहाड़ों में जिस तरह से खास कार्य चल रहे हैं, उससे विशेष रूप से हाथी जैसे विशाल जीवों को ज्यादा परेशानी हुई है। खनन की होड़ में हमने हाथियों और अन्य वन्य जीवों से उनका रहवास छिन लिया है।
खनन करने वाली कंपनियां बहुत बेरहमी से उत्खनन कार्य करती हैं और पहाड़-जंगल को हमेशा के लिए ‘घावÓ पहुंचा देती हैं। सरगुजा जिले के हरदेव अरण्ड कोलफील्ड के परसा कोल ब्लॉक में खनन को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मंजूरी नहीं दी है तो इसके पीछे पर्यावरण से जुड़ी चिंताएं ही काम कर रही हैं। अभी तक का पर्यावरण महकमे का रवैया पर्यावरण के विरुद्ध ही रहा है। वाजिब कारणों से खनन रोक दिया जाता है और गैरवाजिब कारणों से पुन: खनन को मंजूरी मिल जाती है। आमतौर पर ऐसा ही होता चला आ रहा है।
छत्तीसगढ़ शासन को इस मोर्चे पर सतर्क रहते हुए यह जरूर सोचना चाहिए कि कहीं ऐसा न हो आने वाली पीढ़ी आज की पीढ़ी को कोसने को मजबूर हो जाए। आर्थिक विकास देखने के साथ ही छत्तीसगढ़ का स्वाभाविक और सुन्दर स्वरूप बनाए रखना भी सरकार की ही जिम्मेदारी है।
प्रदेश में ठेकेदारों, उद्योगपतियों और आपराधिक तत्वों द्वारा बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों का अवैध दोहन व खनन करना कोई नई बात नहीं है। तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी। ताकि, लौह अयस्क का ही नहीं, बल्कि अन्य खनिज सम्पदाओं का अवैध खनन करने की कोई सोच भी न सके। यदि ऐसा नहीं हुआ तो यह अवैध खनन को बढ़ावा देने जैसा ही होगा।

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