इसके एवज में निजी स्कूल मई और जून की भी फीस वसूलेंगे। मामले में जिला शिक्षा अधिकारी एएन बंजारा का कहना है कि पालकों को अधिक फीस लेने की शिकायत करनी चाहिए। प्रमाणित शिकायत पर कार्रवाई की जाएगी।
शासन-प्रशासन के नियंत्रण से बाहर होते निजी स्कूल अभिभावकों की जेब पर जमकर सेंध लगा रहे हैं। मनमानी फीस में बढ़ोतरी के साथ हर संभव तरीके से शिक्षा के नाम पर पालकों को लूटा जा रहा है। आलम ऐसा है कि निजी स्कूलों में पढ़ाई तो 10 माह की होती है, लेकिन शैक्षणिक शुल्क के नाम पर पूरे 12 माह का शुल्क पालकों से वसूला जाता है।
इतना ही नहीं 2 माह गर्मी की छुट्टियां होने के बावजूद ट्रांसपोर्टेशन के नाम पर भी मोटी रकम पालकों से वसूली जाती है। ऐसे में गरीब तबके के अभिभावकों का निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना का सपना बिखरता हुआ नजर आ रहा है। इसी लूट-खसोट के बीच शासन और प्रशासन के नुमाइंदे अब भी आंखें मूंदे बैठे हैं और शिक्षा माफिया समाज को आगे बढ़ाने के नाम पर जमकर अपनी दुकान चला रहे हैं। वहीं, बीते साढ़े छह वर्षों से फीस विनियामक आयोग की मांग अब भी ठंडे बस्ते में चल रही है।
स्कूल से दूरी कितनी भी, शुल्क फिक्स
निजी स्कूलों में ट्रांसपोर्टेशन के नाम पर न्यूनतम 5 हजार शुल्क लिया जाता है। फिर दूरी चाहे 2 किमी हो या फिर 10 किमी शुल्क उतना ही वसूला जाता है। पत्रिका टीम ने कुछ निजी स्कूलों में ट्रांसपोर्टेशन शुल्क की दरें स्कूलों से जाननी चाही। जिसमें 2 से 10 किमी तक शुल्क 5 हजार रुपए बताया, जबकि दूरी और बढऩे पर 15 हजार रुपए तक शुल्क लेने की बात कही। ऐसे में इन पर नियंत्रण नहीं होने की वजह से कम दूरी तय करने वाले पाल्यों को नुकसान होता दिख रहा है।
रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी जी.आर. चंद्राकर ने बताया कि यदि किसी स्कूल विशेष में इस तरह की समस्या है, तो शिकायत आने पर निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।
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