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प्राइवेट स्कूलों की मनमानी: हर साल बढ़ा रहे 15 से 20 फीसदी फीस, शासन का नियंत्रण नहीं

locationरायपुरPublished: Mar 08, 2019 10:40:50 am

Submitted by:

Deepak Sahu

राजधानी में कई स्कूलों में 15-20 फीसदी तक शैक्षणिक शुल्क में बढ़ोतरी की जा रही है

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प्राइवेट स्कूलों की मनमानी: हर साल बढ़ा रहे 15 से 20 फीसदी फीस, शासन का नियंत्रण नहीं

रायपुर. नए शैक्षणिक सत्र के लिए निजी स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो गई हैं। निजी स्कूल प्रबंधनों द्वारा पालकों की जेब पर डाका डालना प्रारंभ हो गया है।

आलम यह है कि आवेदन के लिए 5 सौ से हजार रुपए तक लिए जा रहे हैं। राजधानी में कई स्कूलों में 15-20 फीसदी तक शैक्षणिक शुल्क में बढ़ोतरी की जा रही है। निजी स्कूलों में न तो फीस निर्धारण में शासन का कोई नियंत्रण है और न ही बढ़ोतरी पर। प्रत्येक छात्र से शिक्षण शुल्क, खेल, कम्प्यूटर, कॉशन मनी, लैब शुल्क, विभिन्न कार्यक्रमों के नाम पर मनमाना शुल्क लिया जा रहा है। वहीं, नियंत्रण नहीं होने से कई प्रकार की सुविधाएं स्कूल में नहीं होने के बावजूद पालकों से इसका शुल्क वसूला जाता है।

तकनीकी और मेडिकल में व्यवस्था
प्रदेश में तकनीकी और मेडिकल कॉलेजों में फीस नियंत्रण के लिए विनियामक समिति का गठन किया गया है, जो कॉलेजों में फीस पर नियंत्रण रखती है। वहीं, छत्तीसगढ़ से जुड़े झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में फीस नियंत्रण के लिए कमेटी है।

6500 से अधिक निजी स्कूल प्रदेशभर में
1000 से अधिक निजी स्कूल राजधानी में
10 हजार से अधिक पालक जिले के संघ में शामिल
12 लाख से ज्यादा स्कूली बच्चे प्रदेश में

सात वर्षों से मांग अनसुनी
स्कूलों में अनाप-शनाप फीस की शिकायतों को लेकर जिले स्तर पर पालक संघ लगातार प्रशासन से अथारिटी बनाने की मांग करता रहा है। जिले स्तर पर बने पालक संघ के अध्यक्ष एच.ए. रिजवी ने बताया कि पिछली भाजपा सरकार के दौरान उनकी ओर से लगभग 7 साल तक इसकी मांग की गई। साथ ही जिला और राज्य स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों से भी इसकी मांग की गई। इसके बावजूद अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। वहीं, नई सरकार आने के बाद संघ फिर से नए सिरे पर गुहार लगाने की रूपरेखा तैयार कर रहा है।

बस समेत अन्य सुविधाओं में भी कमाई
स्कूलों में प्रवेश के बाद पालकों से विभिन्न मदों के नाम पर वसूली की जाती है। इसमें बस सुविधा सहित ड्रेस, कॉपी किताब व अन्य शैक्षणिक सामग्री के लिए दुकानें निर्धारित कर दी जाती हैं। वहां स्कूल प्रबंधन और संचालकों की सांठ-गांठ से पालकों से मोटी रकम वसूली जाती है। इसे लेकर पालक संघ द्वारा कई बार शासन-प्रशासन स्तर पर शिकायत की गई लेकिन कोई हल नहीं निकला।

राज्य में अभी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं
लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक एस. प्रकाश ने बताया कि निजी स्कूलों में फीस पर नियंत्रण के लिए राज्य में अभी व्यवस्था नहीं है। शासन स्तर पर भविष्य में जो भी निर्णय लिया जाएगा, उसका पालन किया जाएगा।

सीएम व मंत्री के सामने रखेंगे समस्याएं
जिला रायपुर के पालक संघ के अध्यक्ष एच.ए. रिजवी ने बताया कि संघ में शामिल लगभग 10 हजार पालक बीते 7 वर्षों से प्रशासन से फीस पर नियंत्रण लगाने की गुहार लगा रहे हैं। जबकि इस मसले पर सिर्फ आश्वासन मात्र मिल सका है। नई सरकार बनने के बाद सीएम और संबंधित मंत्री से मिलने का प्रयास किया जा रहा है।

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