तकनीकी और मेडिकल में व्यवस्था
प्रदेश में तकनीकी और मेडिकल कॉलेजों में फीस नियंत्रण के लिए विनियामक समिति का गठन किया गया है, जो कॉलेजों में फीस पर नियंत्रण रखती है। वहीं, छत्तीसगढ़ से जुड़े झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में फीस नियंत्रण के लिए कमेटी है।
1000 से अधिक निजी स्कूल राजधानी में
10 हजार से अधिक पालक जिले के संघ में शामिल
12 लाख से ज्यादा स्कूली बच्चे प्रदेश में
सात वर्षों से मांग अनसुनी
स्कूलों में अनाप-शनाप फीस की शिकायतों को लेकर जिले स्तर पर पालक संघ लगातार प्रशासन से अथारिटी बनाने की मांग करता रहा है। जिले स्तर पर बने पालक संघ के अध्यक्ष एच.ए. रिजवी ने बताया कि पिछली भाजपा सरकार के दौरान उनकी ओर से लगभग 7 साल तक इसकी मांग की गई। साथ ही जिला और राज्य स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों से भी इसकी मांग की गई। इसके बावजूद अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। वहीं, नई सरकार आने के बाद संघ फिर से नए सिरे पर गुहार लगाने की रूपरेखा तैयार कर रहा है।
बस समेत अन्य सुविधाओं में भी कमाई
स्कूलों में प्रवेश के बाद पालकों से विभिन्न मदों के नाम पर वसूली की जाती है। इसमें बस सुविधा सहित ड्रेस, कॉपी किताब व अन्य शैक्षणिक सामग्री के लिए दुकानें निर्धारित कर दी जाती हैं। वहां स्कूल प्रबंधन और संचालकों की सांठ-गांठ से पालकों से मोटी रकम वसूली जाती है। इसे लेकर पालक संघ द्वारा कई बार शासन-प्रशासन स्तर पर शिकायत की गई लेकिन कोई हल नहीं निकला।
राज्य में अभी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं
लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक एस. प्रकाश ने बताया कि निजी स्कूलों में फीस पर नियंत्रण के लिए राज्य में अभी व्यवस्था नहीं है। शासन स्तर पर भविष्य में जो भी निर्णय लिया जाएगा, उसका पालन किया जाएगा।
सीएम व मंत्री के सामने रखेंगे समस्याएं
जिला रायपुर के पालक संघ के अध्यक्ष एच.ए. रिजवी ने बताया कि संघ में शामिल लगभग 10 हजार पालक बीते 7 वर्षों से प्रशासन से फीस पर नियंत्रण लगाने की गुहार लगा रहे हैं। जबकि इस मसले पर सिर्फ आश्वासन मात्र मिल सका है। नई सरकार बनने के बाद सीएम और संबंधित मंत्री से मिलने का प्रयास किया जा रहा है।