प्रियंका कहती हैं कि मैं उन बच्चों में शामिल नहीं हूं जो हमेशा टॉप करने की सोचते हैं। दिनरात पढ़ाई में जुटे रहते हैं। मैंने हमेशा प्रजेंट को हंड्रेड परसेंट दिया। मैंने कम वक्त में ही दुनियादारी देख ली थी। स्ट्रगल इतने रहे कि कब मेरी पढ़ाई पूरी हो गई और आज डीबी गल्र्स कॉलेज में गेस्ट लेक्चरर बन गई पता ही नहीं चला।
पं. रविवि का चौबीसवां दीक्षांत समारोह सुबह 10 बजे पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में शुरू होगा। चीफ गेस्ट महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी होंगे। अध्यक्षता राज्यपाल आनंदीबेन पटेल करेंगी। अति विशिष्ट अतिथि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और विशिष्ट अतिथि मंत्री उमेश पटेल होंगे। पीएचडी की उपाधि 307 विद्यार्थियों को दी जाएगी। 281 गोल्ड मेडल बांटे जाएंगे। समाज शास्त्र विषय पर पीएचडी 34 प्रतिभागियों ने की जो अन्य विषय की तुलना में सबसे ज्यादा है। उपाधि और मेडल ट्रेडिशन गेटअप में लिए जाएंगे। रविवार को सभी ने इसका रिहर्सल किया।
महासमुंद इलाके के अजय कुमार पटेल इन दिनों रायपुर में रहकर पीएचडी की तैयारी में जुटे हैं। उन्हें 2016-17 में तीन गोल्ड मिले हैं। एक ऑल ओवर टॉपर। दूसरा ब्वॉयज टॉपर और तीसरा 2017-18 में भाष विज्ञान में एफमिल पर। अजय कहते हैं कि छत्तीसगढ़ी मेरी प्रायोरिटी रही है। मैं एमएम छत्तीसगढ़ी के तीसरे बैच का विद्यार्थी हूं। सराइपाली-बसना क्षेत्र की बोली लरिया में एमफिल किया है। अजय के पिता शोभाराम पटेल किसान हैं और माता पार्वती गृहिणी हैं। अजय का नारा रहा है छत्तीसगढ़ी पढ़ो, गुनो और समझो। वे कहते हैं कि मुझे गर्व है कि मातृभाषा में गोल्ड हासिल कर रहा हूं।
प्रियंका कहती हैं कि लाइफ में जो भी स्ट्रगल आते हैं वे आपकी काबिलियत को निखार देते हैं। जब से होश संभाला है, तबसे यही सोचती थी कि पढ़ाई करनी है लेकिन यह नहीं सोचती थी कि इसका प्लस प्वाइंट क्या मिलेगा। मैंने कभी एक्सेप्ट नहीं किया था कि मेरी जिंदगी में वह सारी चीजें आएंगी। हर स्ट्रगल मेरी जिंदगी में एक नई हिम्मत एड करता गया।
प्रियंका ने बताया कि पापा आरपीएफ में हैड कांस्टेबल थे। उनकी एक कमजोरी थी कि ड्रिंकर थे उन्हें नौकरी से हटा दिया गया। तब से हम केस लड़ रहे हैं। हमें सिर्फ तारीख मिलती है सुनवाई नहीं होती। हमारा कहना ये है कि पापा नौकरी नहीं कर सकते तो उनके दो बेटों में से किसी एक को नौकरी दे दी जाए। आज तो हमने खुद को स्टेबल कर लिया लेकिन उस वक्त किसी ने नहीं सोचा कि इनका गुजारा कैसे होगा। मम्मी ने हिम्मत नहीं हारी। सेविंग के कुछ पैसे पापा के इलाज में खर्च हो गए क्योंकि उनका लिवर 25 परसेंट डेमेज हो गया। उस वक्त नौकरी से निकाल दिया गया था, केस के बाद उसमें मोडिफाई किया और कंपलसरी रिटायरमेंट करार दिया गया। हम आज भी केस लड़ रहे हैं।