scriptOpinion : सार्वजनिक परिवहन की जरूरत, सड़कों पर वाहनों का सैलाब | Public transport is needed, there is a flood of vehicles on the roads on Chhattisgarh | Patrika News
रायपुर

Opinion : सार्वजनिक परिवहन की जरूरत, सड़कों पर वाहनों का सैलाब

छत्तीसगढ़ की सड़कों पर हर वर्ष तीन लाख से ज्यादा नए वाहन उतर रहे, साथ ही बढ़ रहा हादसों का ग्राफ।

रायपुरNov 10, 2024 / 02:31 am

Anupam Rajvaidya

Opinion
Opinion : हम इन दिनों छत्तीसगढ़ राज्योत्सव मना रहे हैं। एक बड़ा ही रोचक तथ्य सामने आया है। जब छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था यानी वर्ष 2000, तब वाहनों की संख्या 80 हजार से कम थी और आज वर्ष 2024 में वाहनों की संख्या 80 लाख से ज्यादा है। यानी कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के 24 साल बाद वाहनों की संख्या में 100 गुना इजाफा हुआ है।प्रदेश की सड़कों पर हर वर्ष औसतन तीन लाख से ज्यादा नए वाहन आ रहे हैं।
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बताया जाता है कि परिवहन विभाग द्वारा रोजाना औसतन 8 हजार 250 नए वाहनों का पंजीयन किया जा रहा है। वाहनों की संख्या में इजाफे को हम तरक्की से जोड़कर देख सकते हैं। लोगों के पास पैसा आया तो नए-नए वाहन खरीद रहे। इसका असर यह हो रहा कि सड़कों पर वाहनों का सैलाब नजर आता है। सैलाब मतलब बाढ़। बाढ़ यानी कि आपदा। आपदा यानी कि क्षति। जब हम वाहनों के सैलाब की बात कर रहे हैं तो सैलाब अपना धर्म तो निभाएगा ही, और हो भी ऐसा ही रहा है। इसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं। सड़कों पर पैदल चलने लायक जगह ही नहीं बच रही है। रोजाना सड़कों पर जाम की स्थिति रहती है। लोग ट्रैफिक में फंसे रहते हैं। रोजाना सड़क हादसे हो रहे हैं।
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छत्तीसगढ़ पुलिस के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2024 में अक्टूबर माह तक 12 हजार 500 से ज्यादा सड़क हादसे हुए। इन हादसों में करीबन 5 हजार 600 से लोग अपनी जान से हाथ गंवा बैठे और 10 हजार 500 से ज्यादा लोग घायल हुए। आंकड़े कहते हैं कि सड़क हादसे में मोटर साइकिल चालक व सवार सबसे ज्यादा जान गंवाते हैं, करीबन 69.63 फीसदी मौतें हुई हैं। इसी तरह पैदल चल रहे लोग 15.48 फीसदी, ट्रैक्टर 3.43 फीसदी, कार सवार 2.95 फीसदी, साइकिल सवार 2.73 फीसदी, मालवाहक 2.18 फीसदी, ट्रक-ट्रेलर 2.04 फीसदी और हल्के सवारी वाहन से 0.83 फीसदी की मौत हुई है।
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हादसों की मुख्य वजहों को देखें तो पता चलता है कि वाहन चालकों की लापरवाही और ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करने के साथ ही साथ बड़ी संख्या में वाहनों का होना भी है। अब सवाल यह उठता है कि इन सड़क हादसों को कैसे रोका जाए। इसका जवाब यह है कि सड़कों पर से वाहनों के सैलाब को रोका जाए, और इसके लिए लोगों को सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था उपलब्ध करानी होगी, जोकि सस्ती होने के साथ ही सुलभ भी हो।

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