बताया जाता है कि परिवहन विभाग द्वारा रोजाना औसतन 8 हजार 250 नए वाहनों का पंजीयन किया जा रहा है। वाहनों की संख्या में इजाफे को हम तरक्की से जोड़कर देख सकते हैं। लोगों के पास पैसा आया तो नए-नए वाहन खरीद रहे। इसका असर यह हो रहा कि सड़कों पर वाहनों का सैलाब नजर आता है। सैलाब मतलब बाढ़। बाढ़ यानी कि आपदा। आपदा यानी कि क्षति। जब हम वाहनों के सैलाब की बात कर रहे हैं तो सैलाब अपना धर्म तो निभाएगा ही, और हो भी ऐसा ही रहा है। इसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं। सड़कों पर पैदल चलने लायक जगह ही नहीं बच रही है। रोजाना सड़कों पर जाम की स्थिति रहती है। लोग ट्रैफिक में फंसे रहते हैं। रोजाना सड़क हादसे हो रहे हैं।
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छत्तीसगढ़ के 4 नेशनल हाईवे होंगे फोरलेन और रायपुर में बनेंगे 4 फ्लाईओवर छत्तीसगढ़ पुलिस के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2024 में अक्टूबर माह तक 12 हजार 500 से ज्यादा सड़क हादसे हुए। इन हादसों में करीबन 5 हजार 600 से लोग अपनी जान से हाथ गंवा बैठे और 10 हजार 500 से ज्यादा लोग घायल हुए। आंकड़े कहते हैं कि सड़क हादसे में मोटर साइकिल चालक व सवार सबसे ज्यादा जान गंवाते हैं, करीबन 69.63 फीसदी मौतें हुई हैं। इसी तरह पैदल चल रहे लोग 15.48 फीसदी, ट्रैक्टर 3.43 फीसदी, कार सवार 2.95 फीसदी, साइकिल सवार 2.73 फीसदी, मालवाहक 2.18 फीसदी, ट्रक-ट्रेलर 2.04 फीसदी और हल्के सवारी वाहन से 0.83 फीसदी की मौत हुई है।
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रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में दीपावली मिलन समारोह में शामिल हुए दो मुख्यमंत्री हादसों की मुख्य वजहों को देखें तो पता चलता है कि वाहन चालकों की लापरवाही और ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करने के साथ ही साथ बड़ी संख्या में वाहनों का होना भी है। अब सवाल यह उठता है कि इन सड़क हादसों को कैसे रोका जाए। इसका जवाब यह है कि सड़कों पर से वाहनों के सैलाब को रोका जाए, और इसके लिए लोगों को सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था उपलब्ध करानी होगी, जोकि सस्ती होने के साथ ही सुलभ भी हो।