पुलिस की घोर लापरवाही
रायपुरPublished: Oct 25, 2018 08:01:11 pm
बस्तर में एक शख्स द्वारा डेढ़ साल से फर्जी सब इंस्पेक्टर बनकर किया काम
पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार की बात करना जितना आसान है, उतना ही कठिन है उसकी कार्यप्रणाली में सुधार करना। चिंता की बात है कि प्रदेश में पुलिस की कार्यप्रणाली को शर्मसार करने वाली घटनाएं नहीं रुक रही हैं। अब की बार माओवाद प्रभावित बस्तर में एक शख्स द्वारा डेढ़ साल से फर्जी सब इंस्पेक्टर बनकर पुलिस विभाग में काम करने का मामला उजागर हुआ है। इस मामले से प्रदेशवासी हतप्रभ हैं। पुलिस की कार्यप्रणाली और सुरक्षा में चूक की हद तो यह है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के डिपरापाल मेडिकल कॉलेज में आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम में उक्त फर्जी सब इंस्पेक्टर वर्दी में शामिल हुआ था। इस पूरे मामले में संतोष है तो सिर्फ इस बात का कि कोई बड़ी वारदात करने से पहले आरोपी पकड़ा गया।
एक तरफ जहां पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लग रहा है तो दूसरी तरफ पुलिस बल में अनुशासन भी कम होता दिखाई पड़ता है। दूसरों को अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाली पुलिस खुद ही अनुशासहीनता बरतती है। कानून के रखवाले ही कानून तोड़ते नजर आते हैं। कई दफे तो अराजकतत्वों और पुलिसकर्मियों के व्यवहार में कोई फर्क नजर नहीं आता। दोनों का गाली-गलौज और मारपीट करना आम बात सी हो गई है। वर्तमान पुलिसिंग परिदृश्य को देखकर लगता नहीं कि प्रदेश के पुलिस प्रशासन में सब कुछ ‘ठीक-ठाकÓ है। पुलिस का काम सिर्फ कानून व्यवस्था बनाए रखने का ही नहीं है, बल्कि उनकी कार्यप्रणाली व ड्यूटी में पारदर्शिता व सतर्कता भी होना चाहिए। पुलिसकर्मी तो जान हथेली पर लेकर कानून व्यवस्था कायम रखने का फर्ज निभाते हैं, लेकिन बार-बार असावधानी व लापरवाही बरतने का बहुत बड़ा दुष्परिणाम आखिरकार समाज और देश को भुगतना पड़ता है।
बहरहाल, पुलिस की सतर्कता, निगरानी और सक्रियता आज के समय की सबसे बड़ी मांग है। माओवाद प्रभावित प्रदेश में जरा सी भी चूक की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। साथ ही पुलिस को अपनी कार्यप्रणाली में आमूलचूल सुधार करना होगा। ताकि अराजकतत्वों और हिंसक गतिविधियों पर अंकुश लग सके।