सेक्टर-१ में सड़क तक नहीं बनीभिलाई निवासी शोभा शर्मा के प्रकरण में उन्होंने कहा कि २३ मार्च २०१८ में सेक्टर-१ में ३४ लाख ४५ हजार रुपए से २२९४ वर्गफीट जमीन की खरीदी की। आरडीए ने वादा किया था कि ६ महीने के भीतर सेक्टर-१ में सड़क, नाली, पानी, बिजली, अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम सहित अन्य सुविधाएं पूरी कर दी जाएगी, लेकिन स्थिति यह है कि सेक्टर-१ में सड़क तक का निर्माण नहीं किया गया है, वहीं यह भी नहीं बताया गया है कि प्लॉट कहां पर हैं। आरडीए ने इस सेक्टर में बैटर लोकेशन चार्ज के लिए १ लाख ६० हजार की अधिक राशि ली। इस मामले में भी आरडीए ने प्रोजेक्ट में लेटलतीफी के अन्य कारण गिनाएं। रेरा ने सभी मामलों को दो महीने के भीतर सुलझाने व मार्च तक सभी सुविधाएं देने का फरमान जारी किया है। लेटलतीफी पर यह दिया जवाब १. कमल विहार के मामले में वर्ष २०१८-१९ में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में प्रकरण लंबित था। २. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव व केंद्र में लोकसभा चुनाव के आचार संहिता की वजह से खरीदी-बिक्री संभव नहीं था, जिसके कारण निर्माण कार्य प्रभावित हुआ। ३. प्रोजेक्ट में बची हुई सुविधाएं पूरा करने के कदम उठाए जा रहे हैं। ४. प्रोजेक्ट में पुन: जून २०१९ से विकास कार्य जारी है। [typography_font:14pt;” >रायपुर. रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथारिटी (रेरा) ने कमल विहार प्रोजेक्ट को मार्च २०२० तक पूरा करने का अल्टीमेटम रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) को दिया है। कमल विहार का काम समय पर पूरा नहीं होने और अन्य सुविधाएं प्रदान नहीं करने के मामले में अब तक ३० से अधिक केस दायर हो चुके हैं, जिसमें ३ पर बड़ा फैसला भी आ चुका है। रेरा ने इस मामले में सख्त हिदायत दी है कि ब्रोशर में वर्णित सभी तरह की सुविधाओं को पूरा करना और रजिस्ट्री संबंधित विवादों को भी शीघ्र खत्म करना होगा। रेरा द्वारा दायर एक प्रकरण के मुताबिक आरडीए ने १७ हजार ७८७ वर्गफीट क्षेत्रफल में ३.४२ करोड़ रुपए की कीमत में जमीन खरीदने वाली कंपनी को सेक्टर-०९ में जगह तक नहीं बताई गई। इस मामले में विंध्यवासिनी इंफ्राटेक, मैनेजर संकेत अग्रवाल ने आरडीए से ब्याज १ करोड़ ६ लाख सहित पूरी राशि वापसी का केस ठोका। कंपनी ने कहा कि आरडीए के अनुबंध के मुताबिक समय पर भुगतान नहीं करने पर खरीददार पर १२ फीसदी वार्षिक शुल्क और १५ फीसदी सरचार्ज का नियम है, लेकिन जमीन खरीदी की संपूर्ण राशि ३ करोड़ ४२ लाख ७८ हजार रुपए समय पर भुगतान कर दिया गया। इसके बाद भी आरडीए ने संपूर्ण सुविधाएं नहीं दी। ऐसी स्थिति में क्यों ना आरडीए पर १२ फीसदी वार्षिक ब्याज और १५ फीसदी सरचार्ज के लिए उत्तरदायी है। आवेदक ने कहा कि अभी तक आरडीए ने जमीन का स्थान नहीं बताया है। रेरा का फैसला १. अनावेदक (आरडीए) को मार्च २०२० तक ब्रोशर में उल्लेखित सुविधाएं पूरी करनी होगी। २. रजिस्ट्री बैनामा के निष्पादन के संबंध में उत्पन्न विवाद दो महीने के भीतर सुनिश्चित करें। ३. संपूर्ण राशि का भुगतान करने के बाद भी आवंटिती को सुविधाएं नहीं मिलने यह गंभीर लापरवाही है।