पीडब्ल्यूडी मंत्री साहू ने 14 अगस्त को सामान्य प्रशासन विभाग की मुख्य तकनीकी परीक्षक सतर्कता विंग से उच्चस्तरीय जांच कराने का आदेश दिया था। इस कमेटी ने एनआईटी के विशेषज्ञों के साथ दो महीने तक जांच की। इसकी रिपोर्ट 11 नवंबर को शासन को सौंपी।
तेलीबांधा में एक्सप्रेस-वे के ओवरब्रिज पर सड़क तीन फीट तक नीचे धंस गई। इसे एनआईटी के विशेषज्ञों ने अगस्त में ही खतरनाक घोषित कर दिया था। दो महीना पहले तोड़कर फिर से बनाने का काम शुरू कराया गया, लेकिन जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई ठंडे बस्ते में थी। विधानसभा सत्र के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक धनेंद्र साहू, जोगी कांग्रेस के विधायक धरमजीत सिंह ने उठाया, जिस पर कार्रवाई किए जाने का भरोसा मंत्री ने दिया था।
राज्य सड़क विकास निगम के तत्कालीन प्रबंध संचालक अनिल राय ने एक्सप्रेस-वे सड़क के लिए भोपाल की कंपनी मेसर्स लॉयन इंजीनियरिंग के साथ 3 करोड़ रुपए में अनुबंध किया था। जिसमें से कंसल्टेंट को 2 करोड़ भुगतान किया जा चुका है। बकाया एक करोड़ रुपए का भुगतान रोकने का आदेश हुआ है।
सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, सचिव पीडब्ल्यूडी Click & Read More Chhattisgarh News.