विश्वविद्यालय प्रबंधन पिछले माह जिस प्रक्रिया से जूझ रहा था, 6 माह बाद दोबारा कुलपति चयन होने पर उसी प्रक्रिया से जूझना होगा। शिक्षाविदों ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से कुलपति चयन पैनल में 4 आवेदन शामिल करने पर सवाल उठाए हैं। शिक्षाविदों ने कुलपति के पद के लिए विश्वविद्यालय के बाहर से सिर्फ 1 आवेदन को शामिल करने पर भी सवाल खड़ा कर रहा है। उनकी दलील है कि विश्वविद्यालय के अलावा दूसरी संस्थाओं में पात्र और योग्य शिक्षाविद् हैं, जिन्हें पैनल में शामिल किया जाना चाहिए था।
जानबूझकर प्रक्रिया लेट की गई
शिक्षाविदों का कहना है कि कुलपति चयन की प्रक्रिया में लेटलतीफी से राजनीति होगी और चयन में पारदर्शिता का अभाव रहेगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् समेत कई ऐसी संस्थाएं हैं जहां काबिल शिक्षाविद् मौजूद हैं। यदि उन संस्थाओं से भी पैनल में नाम शामिल किए जाते तो कुलपति चयन में असमंजस की स्थित नहीं बनती। साथ ही निर्धारित अवधि में विश्वविद्यालय को पूर्णकालिक कुलपति मिल जाता।
नियमानुसार प्रक्रिया का पालन
कुलपति चयन के विवाद पर विवि प्रबंधन के जिम्मेदार बयान देने से बच रहे हैं। विवि प्रबंधन के अधिकारियों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि राजभवन से मिले निर्देश का पालन किया गया है। कुलपति डॉ सेंगर की नियुक्ति को लेकर विभागीय राजनीति की जा रही है। मामले में राजनेताओं से जुड़े लोग शामिल हैं, जो विवाद करके विवि को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं।