पहली बार में मिली सफलताहाथियों को कॉलर आईडी लगाने के लिए कुमकी हाथियों की मदद से घेरेबंदी कर पहले ही प्रयास में ट्रैकुलाइज किया गया। इस दौरान हाथी के बेहोश होने के बाद उसके गले में कॉलर आईडी पहनाया गया। जबकि इस कार्य के लिए केरल, कर्नाटक आदि राज्यों से विशेषज्ञों को बुलवाया जाता था। इस पूरी प्रक्रिया में काफी राशि खर्च होती है। इसे देखते हुए वन मंत्री ने पिछले दिनों बैठक में अधिकारियों को निर्देशित किया था कि वन विभाग बाहरी एक्सपर्ट बुलाए बगैर ही हाथियों को कालर आईडी लगाने का कार्य करें।[typography_font:14pt;” >रायपुर . छत्तीसगढ़ वन विभाग की टीम ने पहली बार रविवार को अभियान चलाकर एक उपद्रवी हाथी को रेडियो कॉलर लगाया। इसके लिए कोरबा के कुदमुरा वन परिक्षेत्र में घेरेबंदी की गई थी। इसमें पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन में स्थानीय विशेषज्ञों को शामिल किया गया था। सफलतापूर्वक अभियान के बाद विभागीय टीम द्वारा हाथी को प्रथम नाम दिया गया। बता दें कि वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने अधिकारियों को स्थानीय टीम के जरिए उपद्रवी हाथियों को रेडियो कॉलर आईडी लगाने का महत्वपूर्ण जिम्मा सौंपा था। इसके बाद टीम द्वारा अभियान चलाया गया था। बताया जाता है कि इस हाथी ने धरमजयगढ़ वन परिक्षेत्र में जनहानि पहुंचायी थी। इसे देखते हुए निगरानी रखने के लिए कॉलर आईडी लगाने की योजना बनाई गई थी।अमला तैनातकॉलर आईडी लगाने के दौरान किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने वन विभाग की पूरी टीम को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए थे। वहीं, इसके लिए विशेष टीम का गठन कर सघन अभियान चलाया गया था। इस दौरान कुमकी हाथी तीरथराम की मदद से ट्रेंकूलाइज कर रेडियो कॉलर पहनाया गया। बताया जाता है कि कॉलर आईडी तोड़कर जंगल में घूम रहे गणेश हाथी को भी स्थानीय टीम द्वारा दोबारा कॉलर आईडी लगाने की योजना बनाई गई है।