‘हफ्ते के श्रोता’ के जरिए हो गई शादी
महाजन ने बताया कि मैं एक प्रोग्राम किया करता था हफ्ते के श्रोता। इसमें आधे घंटे तक किसी एक श्रोता की पूरी जानकारी रोचक अंदाज में पढ़ी जाती थी। उस श्रोता के साथ ही उसके शहर की खासियत इसमें बयां की जाती थी। एक श्रोता की जानकारी मैंने प्रोगाम में पढ़ी। इसमें एड्रेस भी प्रसारित होता था। इसे सुनकर दूसरे शहर की लड़की ने उसे खत भेजा। खतों का सिलसिला मोहब्बत में कब तब्दील हुआ वे भी नहीं जानते। दोनों ने एक साथ रहने का फैसला किया और वे वैवाहिक बंधन में बंध गए। इसी तरह राजनांदगांव के जीवरामभाई राठौड़ का रिश्ता तय हुआ।यादें मेरे दौर की विमोचित
महाजन की दूसरी किताब यादें मेरे दौर की का विमोचन किया गया। इसमें महाजन ने रेडियो पर फिल्मी दुनिया की तमाम हस्तियों के संस्मरण लिखे हैं। अमरीश पुरी से उनके एनकाउंटर यानी झड़प का जिक्र है तो मो. रफी की के साथ हुए साक्षात्कार के दौरान की बातें साझा की गई हैं।