ऐसी स्थिति में रेलवे सुरक्षा बल के डीजी स्तर के अधिकारी ने साइबर क्राइम सिस्टम से आइआरसीटीसी की साइड को जोडऩे के लिए रेलवे बोर्ड को प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया है, ताकि सर्वर हैक करने वाले इ-टिकट दलालों को पकड़ा जा सके।
ऑनलाइन टिकट बुक करने को लेकर भारतीय रेलवे कैटरिंग एवं टूरिज्म कार्पोरेशन (आइआरसीटीसी) की क्षमता बढ़ाने का दावा करता है, लेकिन सर्वर हैकिंग रोकने के लिए पुख्ता कदम नहीं उठाया गया है। यहां तक कि रेलवे सुरक्षा बल के सरबर क्राइम सिस्टम को भी दूर रखा गया है। यही वजह है कि इ-टिकट दलाल काफी सक्रिय हुए। रेलवे सुरक्षा तंत्र की जांच में एक आइडी का रजिस्ट्रेशन कराने के बाद अलग-अलग कई आइडी से तत्काल और प्रीमियम इ-टिकट दोगुनी रकम लेकर यात्रियों को बेचने का कारोबार तेजी फल-फूल रहा है। यह खेल रेलवे के निर्धारित तत्काल आरक्षण टिकट समय में सबसे अधिक सामने आया है। उस दौरान यदि कोई आम यात्री ऑनलाइन इ-टिकट बुक करता है तो रेलवे की साइड हैंग रहती है।
त्योहारी सीजन में सबसे अधिक मामले: रेलवे सुरक्षा तंत्र के अनुसार पिछले तीन महीने के दौरान 14 इ-टिकट दलालों का पर्दाफाश हुआ है। जबकि पिछले साल यह आंकड़ा दो से तीन तक ही सीमित था। पिछले दिनों रायपुर दौरे पर आए डीजी आरपीएफ अरुण कुमार के अनुसार पहले यह जानकारी ही नहीं थी कि रेलवे एक्ट 147 के तहत इ-टिकट दलालों पर शिकंजा कस सकता है। एक्ट के प्रावधानों का अध्ययन करने के बाद देश के सभी रेल डिवीजन के सुरक्षा आयुक्तों को आदेश जारी किया। बकौल डीजी रेलवे आइआरसीटीसी के अफसरों से साइबर क्राइम सिस्टम से जोडऩे की कवायद शुरू कर दी गई।
एक मिनट में दो हजार इ-टिकट का दावा
अधिकारियों के अनुसार आइआरसीटीसी की क्षमता में काफी बढ़ोतरी की गई है। यात्रियों की सुविधा को देखते हुए एक मिनट में दो हजार ऑनलाइन टिकट बुक किए जा सकते हैं। लेकिन यह सुविधा आम यात्रियों को कम, इ-टिकट दलाल अधिक उठा रहे हैं।
रेलवे के सुरक्षा आयुक्त अनुराग मीणा ने बताया कि इ-टिकट दलालों के खिलाफ छापामार कार्रवाई जारी रहेगी। साइबर क्राइम सिस्टम से आइआरसीटीसी की साइड जुडऩे से हैक करने वालों को पकडऩे में काफी आसानी होगी। इस दिशा में ठोस कदम उठाया गया है।