छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान केंद्र (AIIMS) के न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग में रेडियो विकिरण से कैंसर का पता लगाने वाली पेट सीटी (पॉजीट्रॉन इमीशन टोमोग्राफी-सीटी) मशीन के इंस्टालेशन का काम करीब-करीब पूरा हो गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि 15 अगस्त से पहले कैंसर मरीजों को इसका लाभ मिलने लगेगा। कैंसर मरीजों को पैट सीटी कराने से पहले दवा इंजेक्ट किया जाता है।
सवा करोड़ की इंजेक्ट मशीन
दवा इंजेक्ट करने एम्स प्रबंधन ने सवा करोड की इंजेक्ट मशीन की खरीदी की है। अमरीका से मंगाई गई मशीन एक-दो दिनों में न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग पहुंच जाएगी। न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. करन पिपरे ने बताया, रेडियोएक्टिव पदार्थ एफ-18 को फ्लोरो डीऑक्सी ग्लूकोज (एफडीजी) के साथ मिलाकर मरीज को इंजेक्शन से दिया जाता है।
ये शरीर में खून के साथ फैल जाता है। इसके बाद कोशिकाएं इसको ग्रहण करने लगती हैं। ग्लूकोज के साथ रेडियोएक्टिव पदार्थ भी इन कोशिकाओं में चला जाता है। पेट सीटी स्कैन में कोशिकाओं के अंदर जमा यही रेडियोएक्टिव पदार्थ पीला-पीला चमकता दिखता है।
इससे डॉक्टर कैंसर व उसके फैलाव का पता लगा लेते हैं। उन्होंने बताया कि जिस कमरे में पैट सीटी मशीन रहती है, वहां पर रेडिएशन का ज्यादा खतरा रहता है इसलिए इंजेक्ट मशीन मंगाई गई है। यह मशीन मरीज को अपने आप इंजेक्शन से दवा इंजेक्ट कर देगी। एफ-18 नाम का रेडियोएक्टिव पदार्थ मुंबई से मंगाया जाएगा।
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