scriptरायपुर : लघु वनोपज संग्रहण से वनवासियों को होगी 2500 करोड़ की आमदनी देश भर में हुए वनोपज संग्रहण में छत्तीसगढ़ की सर्वाधिक भागीदारी | Raipur: Forest dwellers will earn 2500 crores from collection of minor | Patrika News

रायपुर : लघु वनोपज संग्रहण से वनवासियों को होगी 2500 करोड़ की आमदनी देश भर में हुए वनोपज संग्रहण में छत्तीसगढ़ की सर्वाधिक भागीदारी

locationरायपुरPublished: May 25, 2020 07:49:51 pm

Submitted by:

Shiv Singh

ट्राईफेड से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में अब तक एक लाख क्विंटल वनोपजों का संग्रहण हो चुका है, जिसके लिए संग्राहकों को लगभग 30 करोड़ 20 लाख रुपए का भुगतान किया गया है . छत्तीसगढ़ में इस संकट काल में भी वनवासियों को वनोपज और वनोषधि संग्रहण में रोजगार उपलब्ध हो रहा है, जिससे प्रदेश में आत्मनिर्भरता के साथ ही अर्थव्यवस्था के पहिये भी सुचारू रूप से चल रहे हैं।

रायपुर : लघु वनोपज संग्रहण से वनवासियों को होगी 2500 करोड़ की आमदनी देश भर में हुए वनोपज संग्रहण में छत्तीसगढ़ की सर्वाधिक भागीदारी

रायपुर : लघु वनोपज संग्रहण से वनवासियों को होगी 2500 करोड़ की आमदनी देश भर में हुए वनोपज संग्रहण में छत्तीसगढ़ की सर्वाधिक भागीदारी

रायपुर.कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान जहां पूरे देश में वन आधारित आर्थिक गतिविधियां जहां ठप रहीं, वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने इस दौरान अच्छी उपलब्धि हासिल की। लॉकडाउन के दौरान देशभर में हुए वनोपज संग्रहण में छत्तीसगढ़ की सर्वाधिक भागीदारी रही। वहीं इस कार्य से वनवासियों को सलाना लगभग 2500 करोड़ की आय होने की संभावना है। राज्य में हर साल 15 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण होता है। इससे 12 लाख 65 हजार संग्राहक परिवारों को रोजगार मिल रहा है। राज्य शासन द्वारा तेंदूपत्ता का मूल्य बढ़ाकर अब 4000 रुपए प्रति मानक बोरा कर दिया गया है, जिससे उन्हें 649 करोड़ रुपए का सीधा लाभ प्राप्त हो रहा है।

छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले वनोपजों की संख्या 7 से बढ़ाकर अब 25 कर दी है। योजना के दायरे में लाए गए वनोपजों का कुल 930 करोड़ रुपए का व्यापार राज्य में होता है। वनोपजों की खरीदी 866 हाट बाजारों के माध्यम से की जा रही है। प्रदेश में काष्ठ कला विकास, लाख चूड़ी निर्माण, दोना पत्तल निर्माण, औषधि प्रसंस्करण, शहर प्रसंस्करण, बेल मेटल, टेराकोटा हस्तशिल्प कार्य आदि से 10 लाख मानव दिवस रोजगार का सृजन हो रहा है। वन विकास निगम के जरिये बैंम्बू ट्री गार्ड निर्माण, बांस फर्नीचर निर्माण, वनौषधि बोर्ड के जरिये औषधीय पौधों का रोपण आदि से करीब 14 हजार युवकों को रोजगार दिया जा रहा है। इसी तरह सीएफटीआरआई मैसूर की सहायता से महुआ आधारित एनर्जी बार, चाकलेट, आचार, सैनेटाइजर, आंवला आधारित डिहाइड्रेटेड प्रोड्क्ट्स, इमली कैंडी, जामुन जूस, बेल शरबत, बेल मुरब्बा, चिरौंजी एवं काजू पैकेट्स आदि के उत्पादन की योजना बनाई जा रही है। इससे 5 हजार से ज्यादा परिवारों को रोजगार मिलेगा।
जशपुर व सरगुजा के चाय बागान के हितग्राहियों को भी लाभ
जशपुर और सरगुजा जिलों में चाय बागान से हितग्राहियों को सीधे लाभ मिल रहा है। कोविड-19 के संकट काल में 50 लाख मास्क की सिलाई से एक हजार महिलाओं को रोजगार मिला है। चालू वर्ष में लगभग 12 हजार महिलाओं को इमली के प्राथमिक प्रसंस्करण से 3 करोड़ 23 लाख रूपए की अतिरिक्त आमदनी हुई है। वनवासियों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 2019 में 10 हजार 497 वनवासियों की स्वयं की भूमि पर 18 लाख 56 हजार फलदार और लाभ कारी प्रजातियों के पौधे रोपे गए। वर्ष 2020 में वनवासियों की स्वयं की भूमि पर 70 लाख 85 हजार पौधे के रोपण का लक्ष्य है। लाख उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत् 164 उत्पादन क्षेत्रों में 36 हजार मुख्य कृषकों का चयन किया गया है। लगभग 800 हितग्राहियों द्वारा हर वर्ष लगभग 12 हजार क्विंटल वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन किया जा रहा है।

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