scriptरायपुर : राज्यपाल ने कहा कि कम हो रही जीराफूल की पैदावार, सुगंध भी पहले जैसी नहीं इसलिए उपाय जरूरी | Raipur: Governor said that the decreasing yield of cumin seeds, fragra | Patrika News

रायपुर : राज्यपाल ने कहा कि कम हो रही जीराफूल की पैदावार, सुगंध भी पहले जैसी नहीं इसलिए उपाय जरूरी

locationरायपुरPublished: Oct 19, 2019 09:36:04 pm

Submitted by:

Shiv Singh

राज्यपाल ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का किया शुभारंभ .कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि कम लागत में अधिक उत्पादन बढ़ाने की रणनीति पर कार्य कर धान की खेती को लाभकारी बनाएं। धान की ऐसी प्रजातियां विकसित की जाए जो कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाली हों। इसके साथ ही सूखा निरोधक, जैविक एवं जैविक घटकों के प्रभाव को सहन करने की क्षमता वाली तथा पोषक तत्वों से भरपूर हो।
 
 

रायपुर :  राज्यपाल ने कहा कि कम हो रही जीराफूल की पैदावार, सुगंध भी पहले जैसी नहीं इसलिए उपाय जरूरी

राज्यपाल ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ किया.

रायपुर.राज्यपाल अनुसुईया उइके ने शनिवार को यहां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के सभागृह में ‘धान के नवीन किस्मों के शीघ्र विकास एवं बेहतर जैव विविधता उपयोग हेतु प्रजनन कार्यक्रम के आधुनिकीरण’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ किया।
राज्यपाल ने कृषि वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे ऐसा मेकेनिज्म तैयार करें कि वर्तमान में लगने वाले 15 वर्षों के स्थान पर 5-6 वर्षों में ही किसानों के खेतों तक नई किस्में पहंच सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में प्रतिवर्ष तकनीकी के नए प्रोडक्ट एवं माडल की मांग होती है। अतः कृृषि वैज्ञानिकों को भी प्रासंगिक रहने की आवश्यकता है। उइके ने कहा कि परपंरागत विधि से धान की एक किस्म तैयार करने में 10 वर्ष का समय लग जाता है और नई किस्म के बीजों को किसानों तक पहुंचने में और 5 वर्ष लग जाते हैं। इस प्रकार कुल 15 वर्षों में 1 नई किस्म किसानों तक पहुंचती है, यह समय बहुत ज्यादा है। सार्वजनिक क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्थाओं को इस विषय पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
उइके ने कहा कि दूबराज, जीरा फूल एवं जवाफूल आदि सुगंधित किस्में हैं, जिनकी उत्पादकता कम है और उनकी सुगंध भी कम होती जा रही है। इन सुगंधित प्रजातियों की सुगंध को बनाए रखने और इनकी उत्पादकता बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कार्यशाला को प्रासंगिक बताते हुए कहा कि अनुसंधान कार्यों को न्यूनतम आर्थिक संसाधनों के अनुरूप और मानव आवश्यकताओं पर आधारित बनाने पर जोर दिया। उन्होंने इंटरनेशनल राईस रिसर्च इंस्टीट्यूट की फिलीपींस से आए वैज्ञानिकों एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से कहा कि वे चावल के अनुसंधान हेतु नए क्षेत्रों का चिन्हांकन करें। राज्यपाल ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने पर शुभकामनाएं भी दी। उन्होंने कार्यशाला पर आधारित पोस्टर प्रदर्शनी का भी शुभारंभ किया।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटिल, राज्य सरकार के सलाहकार श्री रमेश शर्मा, अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक श्री संजय कटियार ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर कृषि आधारित पत्रिकाओं का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में धरसींवा विधायक योगिता शर्मा सहित कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे।
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