धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रोज नहाना चाहिए। लेकिन क्या बाथरूम में निर्वस्त्र होकर नहाते हैं, तो यह खबर जरूर पढें
रायपुर. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रोज नहाना चाहिए। लेकिन धार्मिक मान्यताओं में नहाने का भी तरीका बताया गया है। क्या आप जानते हैं कि आपके घर में पॉजीटिव और निगेटिव एनर्जी दोनों होती है। पॉजीटिव एनर्जी घर के प्रत्येक हिस्से में भ्रमण करती है जबकि निगेटिव एनर्जी घर के ऐसे स्थानों पर जहां साफ-सफाई न हो अथवा जिस कोने में हमेशा अंधेरा रहता हो, वहां पर निगेटिव एनर्जी का वास हो जाता है।
बाथरूम में रहती है निगेटिव एनर्जी
बाथरूम में मल-मूत्र त्याग करने के कारण व स्थान शुद्ध नहीं माना जाता है। इसलिए जो भी निगेटिव एनर्जी आपके घर में प्रवेश करती है वह सबसे पहले आपके बाथरूम की ओर चली जाती है और वहां जाकर वास करती है। जब आप वहां पूर्णतया निर्वस्त्र होकर नहाते हैं तो वह निगेटिव एनर्जी आप पर आकर्षित होती है। इसलिए कभी भी बाथरूम में निर्वस्त्र होकर नहीं नहाना चाहिए। नहाने के बाद एक अपने हाथ में शुद्ध जल लेकर तीन उतारा कर अपने पीछे फेंक देना चाहिए ताकि आपके साथ निगेटिव एनर्जी घर के अंदर न जाए।
यह भी ध्यान रखें
किसी निर्जन, एकांत या जंगल आदि में मल-मूत्र त्याग करने से पूर्व उस स्थान को भली-भांति देख लेना चाहिए कि वहां कोई ऐसा वृक्ष तो नहीं है जिसपर प्रेत आदि निवास करते हैं अथवा उस स्थान पर कोई मजार या कब्रिस्तान तो नहीं है। किसी नदी, तालाब, कुआं या जलीय स्थान में थूकना या मल-मूत्र का त्याग करना किसी अपराध से कम नहीं है, क्योंकि जल ही जीवन है। जल को दूषित करने से जल के देवता वरुण रुष्ट हो सकते हैं।
घर के आस-पास पीपल का वृक्ष नहीं होना चाहिए, क्योंकि पीपल पर प्रेतों का वास होता है। सूर्य की ओर मुख करके मलमूत्र का त्याग नहीं करना चाहिए। गूलर, मोलसरी, शीशम, मेंहदी आदि के वृक्षों पर भी प्रेतों का वास होता है। इन वृक्षों के नीचे नहीं जाना चाहिए और न ही खुशबूदार पौधों के पास जाना चाहिए। सेब एकमात्र ऐसा फल है जिस पर क्रिया आसानी से की जा सकती है। इसलिए किसी का दिया सेब नहीं खाना चाहिए।