इनकी बनाई गई सैनेटरी नैपकिन बाजार में बिक रहे नैपकिन से आधी कीमत में मिल पा रही है। इसी की तरह और भी महिला समूह इस निर्माण कार्य से जुड़ी हैं। ये महिलाएं कभी मनरेगा में मजदूरी कर दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए जद्दोजहद करती थीं, लेकिन आज इनकी जिंदगी बदल गई है। यह संभव हुआ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के नवाचार से । इस मिशन से रायपुर जिले में करीब 2108 स्वसहायता समूहों की लगभग एक लाख महिलाएं जुड़ चुकी हैं।
ये उत्पाद कर रहे तैयार टेंट, लाइटिंग, किराना सामान, मेहंदी, साड़ी सामग्री की गिफ्ट पैकिंग, लांड्री सर्विसेस, फूलों की सप्लाई, बिहान गिफ्ट हेल्पर सहित पूजन सामग्री तैयार की जा रही है। सब्जी और किराने की दुकान
स्वसहायता समूह की महिलाएं ठेले पर सब्जी और किराने की दुकान भी संचालित कर रही हैं। ये एक जगह नहीं बल्कि गांव-गांव घूमकर सामान बेचती हैं। आर्डर पर घर पहुंच सेवा भी देती हैं। महिलाएं उत्पाद तैयार करने से लेकर सप्लाई तक जुटी रहती हैं।
वल्र्ड बैंक की टीम भी प्रभावित
राष्ट्रीय आजीविका मिशन की टीम के माध्यम से हर माह 2 करोड़ रुपये के आर्डर स्वसहायता समूहों मिल रहा हैं। सभी ब्लॉकों में महिला स्वसहायता समूहों से जुड़ीं महिलाओं की आय में बढ़ोत्तरी हुई है। कुछ माह पहले वल्र्ड बैंक की टीम जिले में मिशन के प्रोग्राम का अवलोकन करने आई थी। टीम के सदस्य इन महिला समूहों की लगन और बदलाव से प्रभावित हुए।
आरंग का महिला समूह बना मिसाल
आरंग जनपद पंचायत के मंदिरहसौद पंचायत में एक समूह की महिलाएं पेवर ब्लॉक और साबुन निर्माण यूनिट चला रही हैं। इनकी आय दो से तीन लाख रुपये प्रतिमाह है। कई महिला समूह सरकारी कार्यालयों में स्टेशनरी, पेन, फिनाइल की सप्लाई कर रहे हैं। ट्रिपल आईटी, बीआइटी और बड़े-छोटे होटलों में खाने और ड्राईक्लीनर्स की डिमांड के हिसाब से आपूर्ति की जा रही है। इसे अलावा अन्य स्वसहायता समूह के स्टॉल आईआईएम और मॉल में लगने लगे हैं। यहां छत्तीसगढ़ की देशी खाद्य पदार्थों और वस्तुओं की बिक्री होती है।
आरंग जनपद पंचायत के मंदिरहसौद पंचायत में एक समूह की महिलाएं पेवर ब्लॉक और साबुन निर्माण यूनिट चला रही हैं। इनकी आय दो से तीन लाख रुपये प्रतिमाह है। कई महिला समूह सरकारी कार्यालयों में स्टेशनरी, पेन, फिनाइल की सप्लाई कर रहे हैं। ट्रिपल आईटी, बीआइटी और बड़े-छोटे होटलों में खाने और ड्राईक्लीनर्स की डिमांड के हिसाब से आपूर्ति की जा रही है। इसे अलावा अन्य स्वसहायता समूह के स्टॉल आईआईएम और मॉल में लगने लगे हैं। यहां छत्तीसगढ़ की देशी खाद्य पदार्थों और वस्तुओं की बिक्री होती है।
जिले की महिला समूह बेहतर काम कर रही हैं। लगातार आय में इजाफा हो रहा है। जिला प्रशासन भी इनकी पूरी मदद कर रहा है। डॉ.एस.भारतीदासन, कलेक्टर रायपुर