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पानी के साथ कैंसर जैसी बीमारी पहुंचा सकते हैं प्लास्टिक पाइप

locationरायपुरPublished: Sep 04, 2015 10:47:00 am

आधी-अधूरी और पुरानी जानकारी के चलते सरकार पेयजल सप्लाई में प्लास्टिक के
पाइपों के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगा रही है। जबकि शोध में इनसे कैंसर जैसी
गंभीर बीमारियों के होने का पता चला है

Plastic pipe can cause cancer disease with water

Plastic pipe can cause cancer disease with water

रायपुर. आधी-अधूरी और पुरानी जानकारी के चलते सरकार पेयजल सप्लाई में प्लास्टिक के पाइपों के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगा रही है। जबकि शोध में इनसे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के होने का पता चला है। पर्यावरण वैज्ञानिकों ने पीने के पानी की सप्लाई में प्लास्टिक पाइपों का उपयोग प्रतिबंधित करने की मांग की है। प्लास्टिक पाइप में ताप के साथ जब दाब बढ़ता है, तब उससे बड़ी मात्रा में जहरीले तत्व उत्सर्जित होते हैं जो पानी में घुल जाते हैं। जो पीने वालों के स्वास्थ्य को गंभीर क्षति पहुंचा सकते हैं। इन जहरीले तत्वों को वाटर प्यूरीफायर से भी साफ नहीं किया जा सकता है। पं. रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के रसायन विभाग के प्रो.शम्स परवेज के अनुसार रिसर्च से पता चला है कि प्लास्टिक पाइप की दीवार पर बनने वाली बायोफिल्म (काई या परत) की आयु इतनी ज्यादा लंबी होती है कि ये बैक्टीरिया और पैथोजन के तेजी से पनपने का सबसे अनुकूल और स्थाई प्लेटफॉर्म बन जाती है। पॉलीथिलिन प्लास्टिक पाइप खुद पीने के पानी में बैक्टीरिया, पैथोजन और जहरीले कार्बनिक पदार्थों का स्रोत बन जाता है।

निकलते हैं विषैले तत्व
प्लास्टिक मटेरियल कई प्रकार के जहरीले कार्बनिक पदार्थ जैसे फिनोलिकस और एमाइडस समूह से जुड़े यौगिकों को पीने के पानी में घोल देता है। कुछ प्रमुख जहरीले कार्बनिक यौगिक जो प्लास्टिक मटेरियल से जुड़े है, इनमें एक्रिलेमाइड, एल्काइन्स, क्लोरीनेटेड पैराफिन्स, आर्सेनिक कंपाउंड्स, बेंजीनेडिकार्बोक्सिलिक एसिड, टीबीटीओ, कैडमियम कंपाउंड्स, क्रोमियम कंपाउंड्स, लैड कंपाउंड्स, हाइड्राजिन सहित अन्य दर्जनों जहरीले पदार्थ शामिल है।

पीएचई नहीं मानती नुकसानदायक
शोध के निष्कर्ष के आधार पर पर्यावरणविद प्रो. परवेज ने दुर्ग कलेक्टर व पीएचई विभाग को मई माह में पत्र लिखकर इसका उपयोग प्रतिबंधित करने की मांग की थी। पीएचई ने उन्हें सेंट्रल पब्लिक हेल्थ और इनवायरमेंटल इंजीनियरिंग आर्गेनाइजेशन (सीपीएचई ईईओ) इंडियन स्टैंडर्ड 1987 और यूनिफाइड शेड्यूल ऑफ रेट्स फॉर वाटर सप्लाई का हवाला देते हुए इसे जायज ठहराया था। डॉ.परवेज के मुताबिक उक्त स्टैंडर्ड 1987 का है, जबकि प्लास्टिक मटेरियल से पानी में घुलने वाले जहरीले पदार्थों की जानकारी 2000 के बाद सामने आई है। तब पुराने स्टैंडर्ड का कोई महत्व नहीं रह जाता।

एक्सपर्ट व्यू
ता प और दाब की बढ़ोतरी से पॉलिएथिलिन पाइप में उपयोग होने वाले बहुलक से कई प्रकार के कैंसरजनक कार्बनिक यौगिक उत्सर्जित होकर पानी में घुल जाते हैं। ऐसा पानी पीना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
डॉ. मनीष राय, कार्बनिक रसायन विशेषज्ञ, रविवि


प्लास्टिक पाइप में बहुत जल्दी काई की परत जम जाती है, जो बैक्टीरिया पैदा करती है। पाइप के गर्म होने पर इससे खतरनाक रसायन रिलीज होते हैं, जो पानी में घुलनशील और कैंसर पैदा करने वाले कारक हैं। ऐसे पानी के सेवन से पहले गैस्ट्रिक प्रॉब्लम होती है।
डॉ. मानस कांतिदेव, प्रोफेसर एनालिटिकल रसायन विशेषज्ञ, रविवि

पत्र लिखा था
प्लास्टिक पाइप से होने वाले दुष्परिणाम को देखते हुए, रिसर्च के आधार पर राज्यपाल को जून माह में पत्र लिखकर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था।
बदरुद्दीन कुरैशी, पूर्व विधायक, भिलाई
(दिलीप साहू)
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