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किसानों के पैरों तले से खिसकी जमीन  ‘रिवर फ्रंट’ के लिए सर्वे व नाप-जोख शुरू

locationरायपुरPublished: Jan 10, 2016 06:19:00 am

भाठागांव और ग्राम पंचायत खुड़मुड़ा को जोडऩे के लिए नदी पर बने पुल से
लेकर महादेवघाट होते हुए सरोना और अटारी गांव के कुछ हिस्से तक के किसानों
की जमीन रिवर फ्रंट में फंसेंगी।

River Front

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मनीष सिंह/केपी शुक्ला. रायपुर. खारुन रिवर फ्रंट योजना से नदी के दोनों किनारों पर खेती करने वाले किसान उजड़ जाएंगे। उनके खेतों और खलिहानों में चमचमाती इमारतें तन जाएंगी। इस महत्वकांक्षी परियोजना के लिए कंसल्टेंसी कंपनी ने जब तीन गांवों का सर्वे शुरू किया तो किसानों के पैरों तले की जमीन खिसक गई।

उन्हें कानोकान भनक नहीं थी कि उनकी जमीन पर सरकार कोई बड़ा प्रोजेक्ट लाने वाली है। कंपनी और सरकार के नुमाइंदों की जब गांव में चहलकदमी तेज हुई तो किसानों को इसकी जानकारी हुई। प्रोजेक्ट के विरोध में तीनों गांवों के लोग उबल रहे हैं और बैठकें कर रहे हैं। नदी के दोनों तरफ लगभग 500 एकड़ जमीन योजना के दायरे में आने से कई किसान भूमिहीन हो जाएंगे।

रायपुर विकास प्राधिकरण ने साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर खारुन रिवर फ्रंट पर काम करना शुरू कर दिया है। दोनों तरफ की 300-300 मीटर जमीन की नाप-जोख की जा रही है। भाठागांव और ग्राम पंचायत खुड़मुड़ा को जोडऩे के लिए नदी पर बने पुल से लेकर महादेवघाट होते हुए सरोना और अटारी गांव के कुछ हिस्से तक के किसानों की जमीन रिवर फ्रंट में फंसेंगी। इन गांवों के किसान नदी के किनारों पर स्थित खेतों पर सब्जी-भाजी उगाकर पीढि़यों से जीवन-यापन करते आ रहे हैं।

मांग रहे जमीन के कागजात
नदी का उत्तरी तट रायपुर और दक्षिणी तट अमलेश्वर दुर्ग जिले में आता है। शनिवार को ‘पत्रिका टीमÓ को खुड़मुड़ा पंचायत के किसानों ने कहा, पहले कोई जानकारी नहीं दी। अब जमीन के कागजात मांग रहे हैं। नदी के दोनों ओर 300 मीटर में पूरी बाड़ी नाप लिया गया है। खुड़मुड़ा, भोथली, घुंघवा, अमलेश्वर तथा सरोना के तटबंधी गांवों के लगभग 110 किसान पूरी तरह से उजड़ जाएंगे। सभी की 4 से 5 एकड़ जमीन है।

पीपीपी फॉर्मूले पर उतरेगी खारुन रिवर फ्रंट स्कीम
खारुन रिवर फ्रंट स्कीम को पब्लिक, प्राइवेट, पार्टनरशिप फॉर्मूले (पीपीपी) पर उतारने की तैयारी है। 20 किलोमीटर की लंबाई में नदी के दोनों किनारों का नए सिरे से भूमि उपयोग तय किया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर की एक एजेंसी को इसका मास्टर प्लान तैयार करने का जिम्मा दिया गया है।

प्लान के तहत नदी के दोनों ओर तटों का विकास, नौका विहार, साइकिल ट्रैक, पार्क, व्यावसायिक, आवासीय और कार्यालय, रिटेनिंग वॉल, स्टॉप डैम व एनीकट, सड़क और पुल आदि बनाए जाएंगे। इसके मास्टर प्लान और फिजिबिलिटी रिपोर्ट का काम अंतिम दौर में है। कंसल्टेंट एजेंसी पूरी स्कीम को 3 चरणों में उतारने का प्लान तैयार कर रही है। आवास एवं पर्यावरण विभाग की इस योजना के लिए नोडल एजेंसी रायपुर विकास प्राधिकरण है। इसके लिए स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (साडा) का गठन किया जाएगा।

सब्जियों की लोकल बाड़ी हो जाएंगी खत्म
नदी के दोनों तरफ खेतों में हरी सब्जियों की खेती लहलहाती नजर आती है। यह क्षेत्र रायपुर और दुर्ग जिले की सब्जी जरूरतों का 50 फीसदी तक हिस्सा पूरा करता है। सरकार की योजना से यहां की बाडि़यां तबाह हो जाएंगी।

जान दे देंगे, लेकिन नहीं देंगे अपनी जमीन
खुरमुड़ा गांव के परमानंद साहू ने कहा, हम तो भूमिहीन हो जाएंगे। हमारा घर उजड़ जाएगा। नदी के किनारे 3.80 एकड़ जमीन को पूरा नाप लिया गया है। उन्होंने कहा, उनका परिवार इसी जमीन पर निर्भर है। पूरी जमीन हम किसी कीमत पर नहीं देंगे। भले ही जान देनी पड़े।

नदी बचाओ, लेकिन हमें मारकर नहीं
भुवनेश्वर सोनकर ने कहा, सब लोगों ने मिलकर किसान क्रांति मोर्चा बना लिया है। हम नदी के संरक्षण का विरोध नहीं कर रहे हैं। नदी से 30 मीटर तक सरकारी जमीन है। फिर भी आस-पास की पूरी जमीन की नाप-जोख की गई है। मेरी 7 एकड़ जमीन पूरी फंस रही है।

प्रभावितों के मामलों को देखने के लिए स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (साडा) का गठन प्रस्तावित है। साडा ही प्रोजेक्ट प्रभावित किसानों से जुड़ी समस्याओं का निराकरण करेगा।
महादेव कांवरे, सीईओ, आरडीए
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