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रायपुर: बेटे ने पिता को पहुुंचाया केबीसी की हॉटसीट तक

locationरायपुरPublished: Oct 28, 2021 11:31:31 am

Submitted by:

Tabir Hussain

सेजबहार के शिवशंकर देवांगन की ऐतिहासिक उपलब्धि

रायपुर: बेटे ने पिता को पहुुंचाया केबीसी की हॉटसीट तक

सेजबहार हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में अपने पैरेंट्स के साथ शौर्य।

ताबीर हुसैन @ रायपुर. आज बात सिर्फ पिता की नहीं बल्कि उस बेटे की भी जिसने पिता को कौन बनेगा करोड़पति के मंच तक पहुंचाया। सेजबहार हाउसिंग बोर्ड निवासी शिवशंकर देवांगन का यहां तक पहुंचाने में बेटे श्रेयांश (शौर्य) का अहम योगदान है। शौर्य आठवीं के छात्र हैं। उन्होंने पिता के नाम पर न सिर्फ रजिस्ट्रेशन किया बल्कि पूछे गए सवालों का जवाब भी देते रहे। शौर्य ने बताया, सब्जेक्ट से रिलेटेड सवाल पापा से पूछा करता था। वे फौरन जवाब दिया करते थे। एक दिन अचानक माइंड में आया कि केबीसी जैसा प्लेटफॉर्म पापा के लिए चमत्कारिक साबित हो सकता है। मैं टेक्निकल सोच रखता हूँ। टीचर्स से प्रेरित होकर कई एक्सपेरिमेंट खुद करता हूँ। ऐसे ही मैंने रजिस्ट्रेशन कराया। मेरी भी इच्छा है कि कभी केबीसी में मौका मिले। मैं इंडियन एयरफोर्स में जाना चाहता हूँ।

फर्जी कॉल समझ बैठा था

शिवशंकर ने बताया, केबीसी देखता जरूर था लेकिन हॉट सीट की कल्पना नहीं की थी। बेटे ने यह कर दिखाया। हमें तो तब पता चला जब मुम्बई से कॉल आया। मैंने सोचा कि कभी ट्राई किया नहीं तो फोन क्यों? मुझे लगा कि फर्जी कॉल तो नहीं। जिस दिन फोन आया मैं पत्नी तुलसी के साथ वैक्सीन लगाने मेडिकल कॉलेज गया था।

फ्लोरेंट छत्तीसगढ़ी सुनकर बच्चन प्रभावित

शिवशंकर ने बिग बी के साथ छत्तीसगढ़ी में बात की। वे कहते हैं, मैं मूलत: आरंग का रहने वाला हूँ। विशुद्ध छत्तीसगढिय़ा हूँ। जाहिर है जहां भी जाऊं मातृभाषा की छाप छोडूंगा ही। फ्लोरेंट छत्तीसगढ़ी सुनकर बच्चन भी प्रभावित हुए।

नोंकझोंक का लिया आनन्द

तुलसी भी पति के साथ कम्पाइनेन के तौर पर गईं थीं। महानायक ने तुलसी संग पति से सबंधित बातों पर चुटकी ली। जिसका लुत्फ आज दर्शक भी उठाएंगे। तुलसी कहती हैं, अमिताभ सर सभी का बहुत सम्मान करते हैं। उनके जुबान से तुलसीजी सुनना अविस्मरणीय है। वहां के क्रू मेंबर भी बहुत सपोर्टिव हैं। हम 4 दिन रहे। सभी ने हमारा ख्याल रखा।

हमेशा इनोवेटिव काम करते रहे हैं शिवशंकर

शिवशंकर शुरू से इनोवेटिव रहे हैं। वे पानी में घास बनाने का काम भी करते थे हालांकि उन्हें इस व्यापार में घाटा हुआ। इसके बाद वे एक्सरे फिल्म से चांदी निकालने का भी काम कर चुके हैं। अभी वे कागज वाले चाय कप का कारखाना चला रहे हैं।

कई राउंड के बाद हुआ सलेक्शन
शिव ने बताया, ऐप के जरिए बेटा रोज सवालों के जवाब भेज दिया करता था। सवाल के जवाब मुझसे ही पूछा करता था लेकिन मैंने कभी ध्यान नहीं दिया कि वह पंजीयन के लिए पूछ रहा है। तुलसी ने बताया कि शोर्य की आदत थी कि वह तत्काल जवाब भेजता था। मैं तो इसे सिर्फ उसकी रुचि ही समझा करती थी। मुझे नहीं पता था कि उसका जज्बा इतना ऊंचा है। रजिस्ट्रेशन के बाद कई राउंड में इंटरव्यू और ऑडिशन हुए तब कहीं जाकर फॉस्टेट फिंगर तक पहुंचे। रजिस्ट्रेशन के सवालों में सफल होने के बाद हमें भोपाल बुलाया गया था। वहां 32 पेज की जानकारी वाला फॉर्म भरा। वहां तीन पैनल वाले सदस्य ने मेरा इंटरव्यू लिया। इसके बाद हमने अपना वीडियो बनाकर भेजा जिसमें हमने खुद के बारे में डिटेल जानकारी दी। फिर मुंबई के लिए कॉल आया। इस तरह करीब 4 करोड़ लोगों के बीच हम सफल हो पाए।

एअरफोर्स की तैयारी कर रहा बेटा
तुलसी कहती हैं जब हम केबीसी में गए तो वहां एक आर्मी ऑफिसर से मुलाकात हुई। हमने उन्हें बेटे के बारे में बताया कि वह एअरफोर्स में जाना चाह रहा है। ऑफिसर ने हमें सुझाव दिया कि बच्चे की ऊंचाई बढ़ाने के लिए कुछ अभ्यास कराएं और साथ ही यह ध्यान रखें कि घुटने आपस में न जुड़ें। इसके लिए पैरों के बीच तकिया रखकर सुलाएं। तब हमें ध्यान आया कि शौर्य तो तकिया रखकर सो रहा है। इसके चलते वो हमसे डांट भी खाया करता था। यानी उसने पहले ही यूट्यूब से एअरफोर्स के लिए योग्यता की जानकारी लेकर तैयारी शुरू कर दी थी।

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