रायपुर

रायपुर : निकाय के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के लिए अब चले जाएंगे कब्जे के लिए दांव-पेंच,कहीं दिखेगा सत्ता का असर तो कहीं दिखेगी विपक्षी ताकत

सभी पार्षदों को दिशा-निर्देशों को पढ़कर सुनाया जाए। मतदान के बाद मतगणना की कार्यवाही करते हुए पृथक-पृथक अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष के निर्वाचन के लिए कुल प्राप्त मतों को अभिलिखित किया जाए अर्थात पहले अध्यक्ष और बाद में उपाध्यक्ष पद के अभ्यर्थियों के मतों की गणना अभ्यर्थीवार की जाए। प्राप्त कुल विधिमान्य मत और अविधिमान्य मतों का विवरण निर्धारित प्रारूप में तैयार किया जाए और जिस अभ्यर्थियों को अधिक मत प्राप्त हुए हो उन्हें क्रमानुसार प्राधिकारी अध्यक्ष पद हेतु तथा उपाध्यक्ष पद हेतु सम्यक रूपेण निर्वाचि

रायपुरDec 26, 2019 / 09:01 pm

Shiv Singh

रायपुर : निकाय के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के लिए अब चले जाएंगे कब्जे के लिए दांव-पेंच,कहीं दिखेगा सत्ता का असर तो कहीं दिखेगी विपक्षी ताकत

नगरपालिका परिषदों-नगर पंचायतों के अध्यक्षों तथा उपाध्यक्षों के निर्वाचन के लिए 15 दिन के भीतर निर्वाचित पार्षदों का सम्मेलन बुलाने कलेक्टरों को परिपत्र जारी

रायपुर. शहर सरकार के लिए पार्षदों का चुनाव संपन्न होने के बाद अब नगर निगम,नगर पालिकाओं जैसे अहम निकाय के शीर्ष पदों पर अपने दल का नुमाइंदा बैठाने की असली कवायद अब शुरू होगी। अब तक केवल बयानों तक सिमटी रहने वाली राजनीति पर अब जमीनी स्तर पर दिखेगी क्योंकि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा नगर पालिक परिषदों और नगर पंचायतों के अध्यक्षों तथा उपाध्यक्षों के निर्वाचन के लिए निर्वाचित पार्षदों का 15 दिन के भीतर सम्मेलन बुलाने के लिए प्रदेश के सभी कलेक्टरों एवं जिला निर्वाचन अधिकारियों को परिपत्र जारी किया गया है।
परिपत्र में कहा गया है कि नगर पालिका परिषदों एवं नगर पंचायतों के प्रथम सम्मेलन में वही पार्षद उपस्थित होकर कार्यवाही में भाग ले सकते हैं, जो छत्तीसगढ़ नगरपालिक परिषद अधिनियम 1961 की धारा 55(क) के अनुसार अनुविभागीय दण्डाअधिकारी के समक्ष शपथ या प्रतिज्ञान हस्ताक्षर कर शपथ ले चुके हों। सम्मेलन के 7 दिन पूर्व प्रत्येक निर्वाचित पार्षद को सम्मेलन के लिए सूचना पत्र भेजा जाए। परिपत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पूर्व नगरपालिक परिषद एवं नगर पंचायत के कार्यकाल समाप्त होने के पूर्व (5 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने के पहले) अर्थात विगत निर्वाचन प्रथम सम्मेलन के दिनांक से पूर्व ही, वर्तमान में प्रथम सम्मेलन का आयोजन किया जाना संवैधानिक बाध्यता है। तदनुसार सम्मेलन के लिए समय अनुसूची एवं कार्यक्रम नियत किया जाए। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा प्राधिकृत अधिकारी द्वारा सम्मेलन की अध्यक्षता की जाए।
परिपत्र में कहा गया है कि जहां मतदान आवश्यक हो वहां पीठासीन प्राधिकारी द्वारा नगरपालिक परिषद एवं नगर पंचायत के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष के निर्वाचन के लिए दो पृथक-पृथक मतपेटी रखी जाए। पहले उन्हें उपस्थित पार्षदों को खोल कर दिखाया जाए और उसके बाद बंद करके ताला लगा दिया जाए।
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