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रायपुर

राजस्थान संकट के बाद छत्तीसगढ़ में संतुलन की कोशिश, 15 विधायक बने संसदीय सचिव

Rajasthan Political Crisis: मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकारों (Congress Government) की वापसी एक साथ हुई थी, लेकिन मध्यप्रदेश में हुआ आंतरिक विद्रोह पार्टी को सत्ता से बेदखल कर गया। राजस्थान में भी पार्टी टूट चुकी है। इस बीच छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में विधायकों की महत्वाकांक्षा को सरकार में थोड़ी-सी जगह देकर संतुष्ट करने की कोशिश की जा रही है।

रायपुरJul 15, 2020 / 10:58 am

Ashish Gupta

Rajasthan Political crisis
रायपुर. मध्यप्रदेश, राजस्थान (Rajasthan Political Crisis) और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकारों (Congress Government) की वापसी एक साथ हुई थी, लेकिन मध्यप्रदेश में हुआ आंतरिक विद्रोह पार्टी को सत्ता से बेदखल कर गया। राजस्थान में भी पार्टी टूट चुकी है। इस बीच छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में विधायकों की महत्वाकांक्षा को सरकार में थोड़ी-सी जगह देकर संतुष्ट करने की कोशिश की जा रही है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 विधायकों को संसदीय सचिव (Parliamentary Secretary) बनाया है। ऐसा इसलिए कि विधायकों की संख्या के 15 प्रतिशत की सीमा तक मंत्री बनाने की बाध्यता ने मंत्रियों की संख्या 13 तक सीमित कर दिया है। छत्तीसगढ़ में जो मंत्री बने उनमें से अधिकतर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel) की ही पसंद के हैं।
विधायकों में ऐसे दर्जन भर से अधिक लोग थे, जो मंत्री पद के तगड़े दावेदार थे। अब पांच से छह विधायकों को निगम-मंडल और आयोगों में पद देने की बात तय हो चुकी है। मतलब पद और मंत्री का दर्जा।
दरअसल, मंत्रिपरिषद के लिए हुए शक्ति संग्राम में आधा दर्जन वरिष्ठ और कम से कम 10 युवा विधायकों को निराश होना पड़ा। सत्यनारायण शर्मा, खेलसाय सिंह जैसे नेताओं ने इसे जैसे-जैसे बर्दाश्त कर लिया, लेकिन धनेंद्र साहू और अमितेश शुक्ला ने खुलकर नाराजगी जाहिर की।
दिल्ली को भी अपनी नाराजगी से अवगत करा दिया। धनेंद्र साहू को लोकसभा चुनाव का उम्मीदवार बनाकर संगठन ने उनकी नाराजगी को पाटने की कोशिश की, लेकिन अमितेश शुक्ला की नाराजगी जारी रही।

विधानसभा में पार्टी लाइन से अलग हटकर शुक्ला, सरकार को असहज करते रहे हैं। बस्तर से केवल एक मंत्री बनाए जाने से खासा असंतोष था। इस साल मनोज मंडावी को विधानसभा का उपाध्यक्ष बनाकर इस नाराजगी को दूर करने की कोशिश हुई।
बस्तर, सरगुजा और मध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण में विधायकों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाकर मंत्री का दर्जा दिया गया। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री विधायकों की महत्वाकांक्षा को सरकार में पद देकर संतुष्ट करके संतुलित करने की कोशिश कर रहे हैं।

सीएम भूपेश ने दिलाई पद एवं गोपनीयता की शपथ

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को अपने निवास स्थाल में सादगीपूर्ण समारोह में 15 संसदीय सचिवों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस दौरान उन्होंने सभी संसदीय सचिव को बधाई देते हुए कहा कि सभी को अनुभवी मंत्रियों के साथ काम करने का मौका मिला है।
इनके साथ रहकर कामकाज करने और सीखने का मौका मिलेगा। भविष्य में आप लोगों के नेतृत्व में सरकार बनने पर मंत्रिमंडल में स्थान मिलेगा। इससे पहले संसदीय सचिवों की नियुक्ति के लिए पार्टी में कई दौर की चर्चा चली। बताया जा रहा है, इसमें सबकी राय शामिल है।

संसदीय सचिव और संबद्ध मंत्री
द्वारकाधीश यादव : डॉक्टर प्रेमसाय सिंह टेकाम
विनोद सेवन चंद्राकर व गुरुदयाल सिंह बंजारे : टीएस सिंहदेव
चंद्रदेव प्रसाद राय व शिशुपाल सोरी : मोहम्मद अकबर
शकुंतला साहू : रविंद्र चौबे
विकास उपाध्याय व चिंतामणि महाराज : ताम्रध्वज साहू
रेखचंद जैन : डॉ शिव डहरिया
कुंवरसिंह निषाद : अमरजीत भगत
इंद्रशाह मंडावी : जयसिंह अग्रवाल
यूडी मिंज : कवासी लखमा
अंबिका सिंहदेव : गुरु रुद्रकुमार
पारसनाथ राजवाड़े : उमेश पटेल
डॉ रश्मि सिंह : अनिला भेड़िया

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