14 की बजाय 6 दिन रखा गया क्वारेंटाइन में
27 अप्रैल को हम बस से कोटा से यहां के लिए रवाना हुए। मेरा सामान दूसरी बस में था। 29 अप्रैल को हम कवर्धा आए और लगेज वाली बस बेमेतरा चली गई। गल्र्स हॉस्टल में हमें ठहराया गया। यहां हम सिर्फ 6 दिन रहे। 5 मई को कवर्धा से राजिम लाया गया। यहां मुझे 14 दिन का होम क्वारेंटाइन मिला। दो दिन बाद हॉस्पिटल में टेस्ट लिया गया था। इसके पहले भी बुलाए थे लेकिन सिम्टम्स नहीं होने के कारण लौटा दिए थे। 15 मई को दोबारा टेस्ट लिया और 17 मई को रात 10 बजे एंबुलेंस घर आई। उसी वक्त मुझे एम्स ले जाया गया।
डॉक्टर मुझे जल्दी ठीक होने का भरोसा दिलाते रहे
एम्स में मैं 8 दिन रही। डॉक्टर काफी सपोर्टिव थे। वे मुझे जल्दी ठीक होने का भरोसा दिलाते रहे। सुबह 6 बजे खाली पेट की एक दवा दी जाती थी। आधे घंटे बाद कोरोना का टेस्ट किया जाता था। 8 बजे ब्रेकफास्ट होता था। उसके आधे घंटे बाद बीपी चेक किया जाता था। दोपहर में लंच के बाद मेडिसीन दी जाती थी। लंच में दाल-चावल, रोटी और सब्जी होती है। शाम को स्नेक्स में चना और मुर्रा दिया जाता है। रात में डिनर। मैं हमेशा बैड पर नहीं रही। मोबाइल का यूज अलॉउ था। दिनभर मास्क पहनना जरूरी था।सीसीटीवी फुटेज दिया था
मुझ पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि मैं क्वारेंटाइन के दौरान मेडिकल शॉप में बैठा करती थी। ये बिल्कुल गलत है। पापा ने अधिकारियों को सीसीटीवी फुटेज दिया था। उन्होंने देखा कि न तो मैं कहीं गई और न ही पार्टी मनाई। बीती रात जहां मुझे ठहाराया गया था वहां काफी गर्मी थी। मैंने अफसरों से कहा कि मैं यहां कंफर्ट नहीें हूं तो उन्होंने मुझे अच्छी जगह में रखा।