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इवीएम की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न

locationरायपुरPublished: Dec 07, 2018 06:39:23 pm

Submitted by:

Gulal Verma

इवीएम में खराबी का जिन्न बार-बार निकल रहा!

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इवीएम की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न

इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (इवीएम) में खराबी की बीमारी प्लेग, स्वाइन फ्लू और डेंगू की तरह फैलती ही जा रही है। गुजरात, कर्नाटक के बाद छत्तीसगढ़ और अब मध्यप्रदेश में इवीएम में खराबी को लेकर ‘राजनीतिÓ उबाल पर है। लोकसभा चुनाव हो या फिर राज्यों के विधानसभा चुनाव सभी में इवीएम में खराबी की शिकायत आम बात हो गई है। हर शिकायत के बाद चुनाव आयोग इवीएम के पक्ष में अपनी सफाई पेश कर देता है। लेकिन एक बात अब लोगों के गले नहीं उतर रही है कि ‘सर्दीÓ के मौसम में इवीएम खराब क्यों हो रही है? क्या इवीएम को ठंड से खांसी, सर्दी-जुकाम या बुखार हो जाता है? यह प्रश्न इसलिए भी उठ रहा है कि देश में जब गर्मी के मौसम में चुनाव हुए तो निर्वाचन आयोग ने ही कहा था कि इवीएम में खराबी की वजह तो गर्मी है।
सौ टके का सवाल यह है कि आखिर ऐसी इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनें बनाई ही क्यों गईं जो गर्मी, बारिश या ठंड में खराब हों? चुनाव तो किसी भी मौसम में हो सकता है। आखिर चुनाव आयोग की ऐसी सफाई देने का क्या औचित्य है, जिससे राजनीतिक दलों और मतदाताओं की शंकाएं दूर ही न हों? देश के कई राजनीतिक दल तो मतपत्र से मतदान कराने की पुरानी व्यवस्था को पुन: प्रारंभ करने की मांग करते रहे हैं। उनका तर्क है कि मशीन है तो खराबी आएगी ही! उनका यह भी कहना है कि दुनिया के कई देशों ने इवीएम को दरकिनार कर मतपत्र से मतदान को तवज्जो दी है। ‘बहस, विरोध, शिकायत व सफाईÓ की अभी तो शुरुआत है। देखिए! आगे-आगे होता है क्या। इवीएम की विश्वसनीयता होगी साबित या फिर लौट आएगा मतपत्र से मतदान।
आज सभी क्षेत्रों में आदर्शों, मूल्यों, कर्र्मो और कर्तव्यों का अवमूल्यन होता जा रहा है। लेकिन लोकतंत्र का महत्त्व कभी कम नहीं होगा। क्योंकि, लोकतंत्र सिर्फ नेताओं व इवीएम पर ही निर्भर नहीं है। इसके कई पहलू, कई किरदार और कई स्तम्भ हैं। एक तरफ चुनाव आयोग का दावा है कि मतदाता जागरुकता अभियान से मत प्रतिशत में बढ़ोतरी हो रही है। वहीं, दूसरी तरफ इवीएम में गड़बडिय़ों ने उसकी साख पर बट्टा लगा रखा है। कई मतदाता तो गुजरे चुनावों को याद करते हुए ‘मुहरÓ लगाकर वोट देने को सही व सुरक्षित ठहराते हैं। इवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठने के बावजूद लोकतंत्र का महापर्व उमंग व उत्साह से मनाया जाना सुखद व शुभ संकेत ही है।
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