scriptमंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे को लेना होगा ‘भोगÓ प्रमाण-पत्र, राम मंदिर बना प्रदेश का पहला धार्मिक स्थल | Ram temple becomes first religious place of the state | Patrika News

मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे को लेना होगा ‘भोगÓ प्रमाण-पत्र, राम मंदिर बना प्रदेश का पहला धार्मिक स्थल

locationरायपुरPublished: Jan 29, 2020 01:28:03 am

एफएसएसआई के सभी नियम धार्मिक स्थलों पर हुए लागू

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प्रशांत गुप्ता@रायपुर. भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसआई) ने देशभर के सभी धार्मिंक स्थलों को ‘भोगÓ (ब्लिसफुल हाईजेनिक ऑफरिंग टू गॉड) योजना के तहत नियमों के दायरे में ला दिया है। इसका उ²ेश्य है स्वच्छ प्रसादी, भंडारे या लंगर का परोसा जाना। ताकि श्रद्धालु पूरी तरह से स्वस्थ और सुरक्षित रहें। वीआईपी रोड स्थित राम मंदिर प्रदेश का पहला धार्मिक स्थल बन गया है जिसे ‘भोगÓ के मानकों पर खरा पाया गया है। मंदिर समिति को प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया है। गौरतलब है कि राम मंदिर में प्रसादम में रोजाना सैंकड़ों श्रद्धालु प्रसादी पाते हैं।
राज्य में इस योजना के दिशा-निर्देशों के पालन करवाने का जिम्मा छत्तीसगढ़ खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग को सौंपा गया है। जिले में पदस्थ खाद्य सुरक्षा अधिकारी (एफएसओ) धार्मिक स्थलों तक जा रहे हैं। समितियों को ‘भोगÓ के बारे में समझाया जा रहा है। हालांकि कई संस्थानों ने शुरुआत में मना भी किया। मगर बाद में ये खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पंजीयन करवाने को राजी हो गए। सभी को पंजीयन करवाना है।
जानें क्या है ‘भोगÓ
ईश को आनंदपूर्ण स्वच्छ चढ़ावा (हिंदी में) और अंग्रेजी में ब्लिसफुल हाईजेनिक ऑफरिंग टू गॉड (अंग्रेजी में)
भोग के तहत प्रमाण-पत्र हासिल करने वाला त्रिनेलवेली का नल्लईअप्पर मंदिर देश का पहला मंदिर बना।
इसके अंतर्गत वे सभी धार्मिक स्थलों आएंगे जहां बड़ी मात्रा में प्रसाद बनता है। देश स्तर पर जैसे शिर्डी, स्वर्ण मंदिर, तिरूपति, खजराना और महाकाल।
खाद्य सुरक्षा प्रणाली अनिवार्य हुई
मंदिर के बनने वाले प्रसाद हो या फिर गुरुद्वारे में बनने वाले लंकर के लिए उन सभी मानकों का पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है, जो मानक सामान्य होटल-रेस्त्रां के लिए लागू होते हैं।जिन्हें खाद्य सुरक्षा प्रणाली (एफएसएमएस) कहा जाता है। यहां किचन की साफ-सफाई मानकों पर रखनी है। प्रसादी बनाने वाले वर्कर को मास्क, हेड कैप, एप्रिन व गल्ब्स पहनने होंगे। किचन में गुटखा, पान सुपाड़ी या अन्य नशीले पदार्थ पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं। गीला-सूखा कचरे के लिए डस्टबिन रखनी है। अवशिष्ट पदार्थों का उचित प्रबंधन करना है।
धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
इस योजना एक बड़ा उ²ेश्य धार्मिक पयर्टन को बढ़ावा देना भी है। देश और प्रदेश के सैंकड़ों ऐसे धार्मिक स्थल हैं जो राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखते हैं। अगर यहां पर भोग की उचित व्यवस्था होगी तो पयर्टक आकर्षित होंगे।
सूची में प्रदेश के ये धार्मिक स्थल शामिल
भोरमदेव मंदिर (कवर्धा), अष्टभुजी मंदिर, दंतेश्वरी, दूधाधारी मंदिर (रायपुर), महामाया मंदिर (रायपुर), सर्व मंगल (कोरबा), टाटीबंध गुरुद्वारा प्रमुख रूप से शामिल हैं।
राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग अभिहीत अधिकारी राजेश क्षत्रीय ने बताया कि ‘भोगÓ का एक ही उ²ेश्य है कि श्रद्धालुओं को स्वच्छ प्रसादी प्राप्त हो। बिल्कुल, यह आस्था का मामला है, इसलिए सभी धर्मों से अपील है कि वे नियम को लागू करने में सहायता करें। पंजीयन करवाएं।
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