पर्यटन के रूप में विकसित करने की यह एक बड़ी वजह
प्रभु श्रीराम ने उत्तर भारत से छत्तीसगढ़ में प्रवेश के बाद विभिन्न स्थानों पर चौमासा व्यतीत करते हुए दक्षिण भारत में प्रवेश किया गया था। अतः छत्तीसगढ़ को दक्षिण पथ भी कहा जाता है। कोरिया जिले की गवाई नदी से होकर सीतामढ़ी हरचौका नामक स्थान से प्रभु श्रीराम ने छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था। उन्होंने 75 स्थलों का भ्रमण करते हुए सुकमा जिले के रामाराम से दक्षिण भारत में प्रवेश किया था। उक्त स्थलों में से 51 स्थल ऐसे हैं, जहां प्रभु श्रीराम ने भ्रमण के दौरान रुक कर कुछ समय व्यतीत किया था, जिसकी पुष्टि शोधकर्ताओं के शोध आलेखों से होती है।
इन स्थलों को किया जाएगा विकसित
राम वनगमन पर्यटन परिपथ को विकसित करने के उद्देश्य से प्रथम चरण में नौ स्थलों का चयन किया गया है। इन स्थलों में सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (अंबिकापुर), शिवरी नारायण (जांजगीर चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर), रामाराम (सुकमा) शामिल है।