लोक संस्करीति : गंवई गांव के बैंक ‘रामकोठी’
पहली के समे म कोनो-कोनो गांव म पइसा कौड़ी अउ अनाज के इंतजाम बर रामकोठी बनाय जात रिहिस। कोनो गांव म आज तको ले रामकोठी के बेवस्था चले आवत हे। राजिम के तीर बेलटुकरी गांव म रामकोठी के अनाज बैंक गजब दिन ले चले रिहिस हे।
रायपुर
Published: March 21, 2022 04:56:36 pm
पहली के समे म कोनो-कोनो गांव म पइसा कौड़ी अउ अनाज के इंतजाम बर रामकोठी बनाय जात रिहिस। कोनो गांव म आज तको ले रामकोठी के बेवस्था चले आवत हे। राजिम के तीर बेलटुकरी गांव म रामकोठी के अनाज बैंक गजब दिन ले चले रिहिस हे।
रामकोठी ह एक परकार के अनाज के बैंक होथे। ऐला चलाय बर गांव के जिम्मेदार मनखेमन के एकठिन समिति बनाय जाथे। गांव के कोनो भी मनखे ह रामकोठी म अनाज जमा कर सकत हे। ये जमा अनाज ल बरोबर रखे खातिर एकठन गोदाम बनाय जाथे। तेला ढाबा घलो कहिथें। ये गोदाम के रखरखाव ल समिति ह करथे। रामकोठी म जमा अनाज ल गांव के कोनो भी मनखे ह अपन जरूरत के मुताबिक उठा सकत हे। ऐहा कमती ब्याज म मिल जाथे। सुलभ करजा के रूप म मिले ये अनाज ल खाय अऊ बीज बर उपयोग करे जाथे। कोनो-कोनोमन ह ऐला बेच के दूसर सामान लेथें। कोनोमन बर-बिहाव अउ मंगल काम म खरचा करथे।
अभी के बेरा म ये तरीका ह अड़बड़ उपयोगी हो सकथे। कोरोना जइसे महामारी म जब गांव वालामन के आवाजाही कम होगे हे, त ये बेरा म रामकोठी ह बहुत ठौकलगहा होही। अभी के सरकार ह छत्तीसगढ़ के देहाती बेवस्था ल बहुत धियान देवत हे- जइसे गोठान, गोधन, पौनी-पसारी आदि। ऐकर ले गांव के जन-जीवन ह सरलता से चलथे। रोजगार के बढ़ोतरी होथे। रामकोठी जइसन छोटे-छोटे बैंक बर गांव के सेवानिवृत कर्मचारीमन ल जिम्मेदारी सौंपे जाय। फेर, बैंक ह बड़े रूप म चले लगय तो गांव के पढ़े-लिखे बेरोजगार लइकामन ल काम-बुता दे जाय। बड़े गांव म सरकारी बैंक अउ निजी बैंक के शाखा होथे। जिहां करजा मिलथे। फेर, वो बैंक म गजब कागज- पत्तर के कार्यवाही होथे। करजा पाय के तरीका अड़बड़ पेरूक होथे, त बैंकमन के वसूली घलो कड़ाई ले होथे। अइसन बड़े बैंक ल चलाय बर करमचारी, भवन, ईंधन आदि म बड़ खरचा होथे। रामकोठी ल चलाय बर कोनो खास खरचा नइ होवय। करजा दे अउ वसूली करे म घलो सहूलियत होथे।
ऐकर सेती बिना झंझट के आसानी ले रामकोठी ल चलाय जा सकत हे। गांव म लोक-लाज के डर के मारे रामकोठी के करजा ल लोगनमन झटकुन पटा देथें। गांव के मन बदनामी ल डरथे। लोगनमन मिलजुर के रहिथें। आपसी संबंध ह बने रहिथे। ते पाय के धोखाधड़ी के संसो नइ रहय। रामकोठी ल आत्मनिरभर बनाय बर चाही।

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