scriptनए बारदानों को कुतर गए चूहे, पुराने में दे रहे मिलर्स को धान | Rats scavenged for new gunny bags, paddy to millers giving to old | Patrika News

नए बारदानों को कुतर गए चूहे, पुराने में दे रहे मिलर्स को धान

locationरायपुरPublished: Mar 08, 2021 07:11:18 pm

अनोखा बहाना: मिलर्स ने शुरू किया विरोध, नए बारदाने बेचने की शिकायत

नए बारदानों को कुतर गए चूहे, पुराने में दे रहे मिलर्स को धान

नए बारदानों को कुतर गए चूहे, पुराने में दे रहे मिलर्स को धान

रायपुर. राजधानी में धान खरीदी के लिए दिए गए बारदानों में बड़ा खेल हो गया है। राइस मिलर्स को नए बारदाना बताकर पुराने बारदाने में धान दिया जा रहा है। समिति के संचालकों द्वारा नए बारदानों को गायब कर पुराने बारदानों में धान दिया जा रहा है।
जिले के राइस मिलर्स ने कलेक्टर डॉ. एस. भारतीदासन की बैठक में मुद्दा उठाया था कि मार्कफेड के द्वारा उन समितियों का धान नही दिया जा रहा है, जहां 2020-21 के नए बारदाने रखे हैं। बल्कि पुराने बारदाने में धान दिया जा रहा है। कलेक्टर रायपुर ने तत्काल 60:40 के अनुपात में नए पुराने बारदाने में धान देने के आदेश जारी करवा दिए, लेकिन मार्कफेड के अधिकारियों ने बिना जानकारी के राईस मिलर्स को उन समितियों से धान उठाने का आदेश जारी कर दिए है। जहां केवल कागजों में नए बारदाने दिख रहे हैं।
खुले बाजार में बिकने की खबर

राइस मिलर्स की शिकायत है कि अधिकांश समितियों में नए बारदानों में बड़ा खेल हो गया है। समितियों के प्रबंधकों ने नए बारदाने 60 -65 रुपये में खुले बाजार में बेचकर पुराने बारदाने में धान खरीद लिए है। अब मार्कफेड के कम्प्यूटर सिस्टम में नए बारदाने दिख तो रहे है, लेकिन हकीकत में नहीं है।
नए बारदानों के लिए पुराना बहाना

पत्रिका ने इस मामले में छानबीन की तो पता चला कि नए बारदाने के भीगने, सबसे नीचे रखने और चूहे के द्वारा काटे जाने का बहाना किया जा रहा है। केवल रायपुर जिले में 2020-21 के लगभग 1 लाख से अधिक नए बारदाने को बेचे जाने की खबर है जिसे लीपापोती करने के लिए मार्कफेड के अधिकारी राइस मिलर्स को पुराने बारदाने देकर नए बारदाने को रेकार्ड कम्प्यूटर में चढ़ा रहे है। इधर राइस मिलर्स 60:40 के अनुपात में धान न दिए जाने के संबंध में मिलकर ज्ञापन देने का निर्णय किया है।
इन समितियों की पड़ताल

पुराने बारदानों में चावल लेने से इंकार: हर जिले के कलेक्टर अपने-अपने जिले के धान को उठवाने के लिए प्रयास कर रहे है, लेकिन मार्कफेड के अधिकारियों की लापरवाही से मामला अटक जा रहा है। भारतीय खाद्य निगम के द्वारा केंद्र से मिले नए बारदानों में ही चावल लिया जा रहा है लेकिन मार्कफेड के अधिकारियों की लापरवाही सें एफसीआई ने चावल लेने से मना कर दिया है।
मार्कफेड के जिला प्रबंधक संतोष पाठक ने बताया कि राइस मिलर्स को परेशान होने की जरुरत नहीं है, वो चाहे तो पुराने बारदाने लेने से मना कर सकते हैं। बारदाने को लेकर जितनी भी शिकायतें हैं उनका निराकरण किया जा रहा है।
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