यहां की बढ़ सकती है कीमत
मू ल्यांकन समिति की हुई बैठक में शासन के पास चुनिंदा स्थानों की सर्वे सूची तैयार कर ली है। जिसमें समिति ने उल्लेखित किया है कि सड्डू वार्ड क्रमांक-26, वार्ड-27 और वार्ड-45 में निर्माणाधीन टाउनशिप में बाजार भाव तीन गुना चल रहा है। इसे देखते हुए इलाकों में 10 से 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि 70 वार्डों में औसत वृद्धि 16.82 प्रतिशत हो सकती है। एक्सप्रेस वे और धमतरी रोड के आसपास इलाका के अलावा एम्स के आसपास इलाके की दर में भी थोड़ा इजाफा किया जा सकता है।
दर में असमानता अधिक न हो तो होगा फायदा
यदि बाजार दर और कलेक्टर गाइडलाइन की दर में कम अंतर हो तो सरकारी खजाने का मुनाफा अधिक होगा। क्योंकि, शहरी इलाकों में कई क्षेत्रों में जमीन की बाजार दर गाइडलाइन से दो-ढाई गुनी तक हो गई है। ऐसे में खरीदी-बिक्री तो बाजार दर पर हो रही है, लेकिन रजिस्ट्री इससे आधी यानी गाइडलाइन की कीमत पर कराई जा रही है। इससे वाजिब राजस्व नहीं मिल रहा। ऐसे इलाकों में पूंजीपति लोग ही सौदा करते हैं।
इस तरह समझें, सरकारी खजाने के नुकसान को
रजिस्ट्री में सरकार को मूल्य का 6.25 फीसदी स्टॉम्प शुल्क, पांच फीसदी पंजीयन शुल्क व डेढ़ फीसदी अन्य शुल्क के रूप में मिलता है। गाइडलाइन में कीमत कम होने से रजिस्ट्री से मिलने वाला शुल्क उसी अनुपात में घट जाता है। दोगुने दर में खरीदी-बिक्री से करीब 50 फीसदी राजस्व का नुकसान हो रहा है।
धर्मेश साहू, आईजी ऑफ स्टाम्प