रायपुर

नई कलेक्टर गाइडलाइन जुलाई में, 10 से 20 प्रतिशत महंगी होगी रजिस्ट्री

5 डिसमिल से कम क्षेत्रफल की भूखंडों की रजिस्ट्री और रजिस्ट्री शुल्क में 30 प्रतिशत छूट जारी रहेगी

रायपुरMay 22, 2020 / 06:27 pm

Devendra sahu

नई कलेक्टर गाइडलाइन जुलाई में, 10 से 20 प्रतिशत महंगी होगी रजिस्ट्री

रायपुर . कलेक्टर गाइडलाइन राजधानी समेत प्रदेशभर के लोगों को कोरोनाकाल में थोड़ी राहत और थोड़ा झटका दे सकती है। अब रजिस्ट्री 10 से 20 प्रतिशत महंगी हो सकती है। हालांकि, राज्य शासन ने बीते साल 5 डिसमिल से कम क्षेत्रफल की भूखंडों की रजिस्ट्री और रजिस्ट्री शुल्क में 30 प्रतिशत छूट दी थी, वह जारी रहेगी। इसके अलावा कर्ई इलाकों में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी भी हो सकती है। मूल्यांकन समिति द्वारा प्रस्ताव बनाकर शासन के पास भेज दिया गया है।
लॉकडाउन की सीमा समाप्त होने के बाद 1 जुलाई से नई गाइडलाइन जारी कर दी जाएगी। अब एक माह तक लोग पुरानी दर पर खरीदी-बिक्री कर पाएंगे। आउटर में जमीन की सरकारी कीमत अभी भी बाजार भाव से तीन गुना कम है।
इससे शासन को राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा था। वर्तमान में इन इलाकों का कलेक्टर दर 1200 रुपए प्रति वर्गफीट के भीतर है।
रेट नहीं बढ़ाने की अनुशंसा
राजधानी और आउटर में जमीन का कलेक्टर गाइडलाइन रेट (सरकारी दर) तय करने के लिए सर्वे तीन माह पहले ही पूरा कर लिया गया है। इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। अब कोरोना संक्रमण के कारण रियल स्टेट मार्केट पूरी तरह से ठप पड़ गया है। मार्केट में बूम लाने के लिए कलेक्टर दर यथावत रखने के मांग बिल्डरों ने की है।

यहां की बढ़ सकती है कीमत
मू ल्यांकन समिति की हुई बैठक में शासन के पास चुनिंदा स्थानों की सर्वे सूची तैयार कर ली है। जिसमें समिति ने उल्लेखित किया है कि सड्डू वार्ड क्रमांक-26, वार्ड-27 और वार्ड-45 में निर्माणाधीन टाउनशिप में बाजार भाव तीन गुना चल रहा है। इसे देखते हुए इलाकों में 10 से 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि 70 वार्डों में औसत वृद्धि 16.82 प्रतिशत हो सकती है। एक्सप्रेस वे और धमतरी रोड के आसपास इलाका के अलावा एम्स के आसपास इलाके की दर में भी थोड़ा इजाफा किया जा सकता है।

दर में असमानता अधिक न हो तो होगा फायदा
यदि बाजार दर और कलेक्टर गाइडलाइन की दर में कम अंतर हो तो सरकारी खजाने का मुनाफा अधिक होगा। क्योंकि, शहरी इलाकों में कई क्षेत्रों में जमीन की बाजार दर गाइडलाइन से दो-ढाई गुनी तक हो गई है। ऐसे में खरीदी-बिक्री तो बाजार दर पर हो रही है, लेकिन रजिस्ट्री इससे आधी यानी गाइडलाइन की कीमत पर कराई जा रही है। इससे वाजिब राजस्व नहीं मिल रहा। ऐसे इलाकों में पूंजीपति लोग ही सौदा करते हैं।

इस तरह समझें, सरकारी खजाने के नुकसान को
रजिस्ट्री में सरकार को मूल्य का 6.25 फीसदी स्टॉम्प शुल्क, पांच फीसदी पंजीयन शुल्क व डेढ़ फीसदी अन्य शुल्क के रूप में मिलता है। गाइडलाइन में कीमत कम होने से रजिस्ट्री से मिलने वाला शुल्क उसी अनुपात में घट जाता है। दोगुने दर में खरीदी-बिक्री से करीब 50 फीसदी राजस्व का नुकसान हो रहा है।

छूट जारी रहेगी। जिन इलाकों में बाजार मूल्य और गाइडलाइन दर असामान्य हैं, वहां कुछ प्रतिशत बढ़ोतरी की जाएगी।
धर्मेश साहू, आईजी ऑफ स्टाम्प
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