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रेलमार्ग बना आसान निशाना

locationरायपुरPublished: Sep 07, 2018 07:45:50 pm

Submitted by:

Gulal Verma

किरंदुल-विशाखापटनम रेल लाइन माओवादियों का सबसे आसान निशाना बनी

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रेलमार्ग बना आसान निशाना

बस्तर की इकलौती किरंदुल-विशाखापटनम रेल लाइन माओवादियों का सबसे आसान निशाना बन गई है। वे जब चाहे तब इसे बाधित कर देते हैं। रेलवे सुरक्षा विशेष बल की भूमिका भी इस मामले मूकदर्शक से अधिक की नहीं है। हाल ही में माओवादियों ने दंतेवाड़ा के नरेली घाट में एक बार फिर रेल की पटरी उखाड़ दी थी। वहां से गुजर रही मालगाड़ी के चालक ने यह देख इमरजेंसी बे्रक भी लगाया, लेकिन तब तक इंजन पटरी से उतर चुका था। इस घटना के करीब १४ घंटे के बाद इस मार्ग पर यातायात बहाल हो सका। ईस्ट कोस्ट रेलवे जोन भुवनेश्वर की कमाई के मामले में यह लाइन अव्वल है। सालभर में रेलवे बैलाडीला की खदानों से करीब २६ मिलियन टन लौह अयस्क की ढुलाई इसी मार्ग से करता है। जिससे एक हजार करोड़ रुपए की कमाई होती है। लौह अयस्क परिवहन ठप होने से रेलवे के साथ ही एनएमडीसी को भी खासा नुकसान उठाना पड़ता है।
बीते डेढ़ दशक में माओवादी इस रेलमार्ग पर १५० वारदात कर चुके हैं। आवागमन बाधित होने और संपत्ति को नुकसान पहुंचने से रेल विभाग को अब तक ४.५ हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। हर साल माओवादियों के उत्पात की वजह से सौ से अधिक दिन यह रेलमार्ग बाधित रहता है। जगदलपुर से ४२ किमी दूर सिलकझोड़ी स्टेशन से ही माओवादियों का प्रभाव शुरू हो जाता है जो ११० किमी दूर किरंदुल स्टेशन तक बरकरार रहता है। इस दूरी के बीच १४ बड़े और सवा सौ छोटी पुल- पुलिया हैं। पटरी उखाडऩे पर ही एक-दो दिन तक यातायात बाधित रहता है। यदि पुल-पुलियों को निशाना बना लिया गया तो आवागमन बहाल होने में कई दिन लग सकते हैं।
इस रेलमार्ग पर सुरक्षा देने के लिए १९६२ से ही रेलवे सुरक्षा बल तैनात है। साल २००३ में रायगढ़ा सेक्शन में आरपीएफ के तीन जवानो की हत्या कर माओवादियों ने उनके हथियार लूट लिए थे। इस वारदात के बाद से यहां आरपीएफ के जवानों के हथियार ले लिए गए। छह माह पहले बस्तर में विशेष प्रशिक्षण और आधुनिक हथियारों के साथ रेलवे सुरक्षा विशेष बल को तैनात किया गया। जो आज तक जगदलपुर में ही डेेरा जमाए छापामार युद्ध कौशल का प्रशिक्षण लेने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं इनकी बैरकें भी नहीं बन पाई हैं।
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