ताबीर हुसैन @ रायपुर. यह दौर क्रिएटर्स का है। उनके लिए सोशल मीडिया एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म बन गया है। वहां से वे अपना टैलेंट दिखाकर खुद को साबित कर सकते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण हैं रेणुका सिंह। वे बस्तर से बिलांग करती हैं और इंस्टाग्राम पर बस्तर विलेज नाम का पेज बनाया है। हाल ही में एक कार्यक्रम में शामिल होने रायपुर आईं थीं। पत्रिका से खास बातचीत में उन्होंने बताया, मेरा सफर लगभग डेढ़ साल पहले शुरू हुआ। सिलगेर के मुद्दे से लोग मुझे करीब से जानने लगे। ब्लाग के आर्टिकल और आवाज से स्टोरी को अधिक पसंद किया जाने लगा। लेकिन जब जागेश्वरी का वीडियो जब सर्कुलेट हुआ तब इंस्टाग्राम पेज बस्तर विलेजर कम वक्त में ज्यादा ग्रो किया। इसलिए पसंद किए जाते हैं वीडियो ज्यादातर लोकल स्टोरी होती है। मेरे ब्लॉग स्थानीय बोली हल्बी में होते हैं। आवाज और अंदाज पसंद किए जाते हैं। रेणुका ने अब तक कला, संस्कृति, टूरिज्म, संवेदनशील मसले, आर्थिक मुद्दों इसके साथ करेंट मुद्दों पर पर भी जोर देती हैं। छह साल तक दिल्ली में पढ़ाई और जॉब 2015 में कुशाभाऊ ठाकरे यूनिवर्सिटी में गोल्ड मेडलिस्ट रही फिर दिल्ली से पत्रकारिता में ही पीजी किया। 6 साल दिल्ली में रहकर पढ़ाई के साथ जॉब भी किया लेकिन अच्छा अनुभव मेरा अपने की अंचल में साल 2020 के बाद का रहा जब डीडी छत्तीसगढ़ के साथ काम करते-करते मैंने स्वयं के लिए अपना एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म खड़ा किया।
ताबीर हुसैन @ रायपुर. यह दौर क्रिएटर्स का है। उनके लिए सोशल मीडिया एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म बन गया है। वहां से वे अपना टैलेंट दिखाकर खुद को साबित कर सकते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण हैं रेणुका सिंह। वे बस्तर से बिलांग करती हैं और इंस्टाग्राम पर बस्तर विलेज नाम का पेज बनाया है। हाल ही में एक कार्यक्रम में शामिल होने रायपुर आईं थीं। पत्रिका से खास बातचीत में उन्होंने बताया, मेरा सफर लगभग डेढ़ साल पहले शुरू हुआ। सिलगेर के मुद्दे से लोग मुझे करीब से जानने लगे। ब्लाग के आर्टिकल और आवाज से स्टोरी को अधिक पसंद किया जाने लगा। लेकिन जब जागेश्वरी का वीडियो जब सर्कुलेट हुआ तब इंस्टाग्राम पेज बस्तर विलेजर कम वक्त में ज्यादा ग्रो किया। इसलिए पसंद किए जाते हैं वीडियो ज्यादातर लोकल स्टोरी होती है। मेरे ब्लॉग स्थानीय बोली हल्बी में होते हैं। आवाज और अंदाज पसंद किए जाते हैं। रेणुका ने अब तक कला, संस्कृति, टूरिज्म, संवेदनशील मसले, आर्थिक मुद्दों इसके साथ करेंट मुद्दों पर पर भी जोर देती हैं। छह साल तक दिल्ली में पढ़ाई और जॉब 2015 में कुशाभाऊ ठाकरे यूनिवर्सिटी में गोल्ड मेडलिस्ट रही फिर दिल्ली से पत्रकारिता में ही पीजी किया। 6 साल दिल्ली में रहकर पढ़ाई के साथ जॉब भी किया लेकिन अच्छा अनुभव मेरा अपने की अंचल में साल 2020 के बाद का रहा जब डीडी छत्तीसगढ़ के साथ काम करते-करते मैंने स्वयं के लिए अपना एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म खड़ा किया।